मनीषा 13 साल की है, लेकिन बीमारी उसके जन्म के साथ ही दिखाई देने लगी थी। पैदा हुई तो हाथ और पांव की अंगुलियों के नाखून आधे लाल थे। तीन माह बाद नाखून काले और सख्त हो हो गए। परिजन ने कोटा और अहमदाबाद में सालों उपचार करवाया, लेकिन लाभ नहीं हुआ।इस बीच बेटी स्कूल जाने लगी तो वहां कोई उससे दोस्ती नहीं करता। उसे ताने मारते थे। नाखूनों के कारण उसके लिए पेन पकड़ने से लेकर अन्य छोटे काम करना भी कठिन हो गया। मई 2022 में स्पीकर बिरला से मिले। चाहते थे कि बेटी का दिव्यांग प्रमाण पत्र बन जाए, जिससे उपचार में सहायता मिल जाए, लेकिन बिरला ने कहा – यह हमारी बेटी है, एम्स में इलाज करवाएंगे। दो साल के प्रयासों के बाद मनीषा की स्थिति अब ठीक है। वह गुरुवार को स्पीकर बिरला से मिलने कैंप कार्यालय आई और आभार जताया।
दो साल में 15 से ज्यादा ऑपरेशनस्पीकर बिरला के निर्देश पर मनीषा के उपचार की व्यवस्था में दिल्ली एम्स में करवाई। एम्स के चिकित्सकों ने भी इस केस को प्रयोग के तौर पर लिया। सबसे पहले दाहिने हाथ की सबसे छोटी अंगुली का ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन सफल रहा और नाखून फिर से नहीं उगा। ऐसे में अन्य अंगुलियों के ऑपरेशन किए गए। कुछ अंगुलियों के ऑपरेशन दो से तीन बार किए गए।