scriptमंडी का नहीं संचालन, औने-पौने दामों में बेच रहे उपज | Market does not operate, the produce is being sold at a quarter to one | Patrika News
कोटा

मंडी का नहीं संचालन, औने-पौने दामों में बेच रहे उपज

– मंडी को नहीं मिल रहा भागीरथ, घोषणा के बाद भी बदहाल

कोटाMar 05, 2021 / 12:32 am

Anil Sharma

sangod, kota

सांगोद गौण मंडी में पसरा सन्नाटा।

सांगोद. फसल कटाई के साथ ही जहां जिले की अन्य मंडियों में जिसों की बम्पर आवक हो रही है वहीं यहां गौण कृषि उपज मंडी में सन्नाटा पसर रहा है। मंडी संचालन नहीं होने से किसान बाजारों में मनमाने दामों पर जिंस बेचने को मजबूर है। इसका खामियाजा किसानों के साथ यहां के दुकानदारों को भी उठाना पड़ रहा है। कुछ माह पूर्व सरकार की ओर से गौण मंडी को स्वतंत्र मंडी में तब्दील करने की घोषणा हुई तो लोगों को मंडी संचालन की उम्मीद जगी। लेकिन अब भी यहां सीजन में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। मंडी संचालन को लेकर किसी स्तर से प्रयास नहीं हो रहे। इन दिनों बाजारों में जिंसों की आवक होने लगी है। लेकिन यहां मंडी में जिंस खरीद का अभी तक श्री गणेश तक नहीं हुआ।
फिर भी बदहाल मंडी
बीते पांच सालों में गौण कृषि उपजमंडी में व्यवस्थाओं में सुधार को लेकर कृषि विपणन बोर्ड ने करोड़ों रुपए खर्च किए है। गौदामों के साथ कार्यालय भवन का नए सिरे से निर्माण करवाया। मंडी में छाया, पानी व अन्य सुविधाएं जुटाकर इसका कायाकल्प करवाया। लेकिन यहां खरीद फरोक्त नहीं होने से ना मंडी की तस्वीर बदली ना तकदीर। मजबूरन किसानों को अपनी मेहनत की कमाई बाजारों में आढ़तियों को कम दाम पर बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।
बाजार हो रहा प्रभावित
क्षेत्र में रबी व खरीफ के सीजन में हर साल दो लाख हैक्टेयर से अधिक की बुवाई होती है। लेकिन उत्पादन में निकल रही लाखों क्विंटल उपज बिकने के लिए कोटा व अन्य मंडियों में जा रही है। वहां किसानों को नकद भुगतान के साथ व्यापारियों से अन्य सुविधाएं भी मिलती है। किसान जिंस बैचने के बाद उपज से मिलने वाली राशि से घर परिवार की जरूरत की चीजे भी वहीं से खरीद लाते है। जिससे यहां का बाजार भी प्रभावित हो रहा है।
हर तरफ उदासीनता
मंडी संचालन को लेकर जनप्रतिनिधि, व्यापारी एवं प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता मंडी संचालन की किसानों की उम्मीदों पर भारी पड़ रही है। मंडी के व्यापारी यहां खरीद फरोक्त शुरू नहीं कर बाजारों जिंसों की खरीद कर चांदी कूट रहे है। इन पर ना तो प्रशासन कार्रवाई कर रहा और नहीं मंडी समिति। किसानों के हितों को लेकर राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि भी मंडी संचालन को लेकर कोई प्रयास नहीं कर रहे।

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