देश में डॉक्टर-इंजीनियर तैयार करने वाले कोटा के ग्रामीण अंचल में आज भी अशिक्षा का अंधेरा है। अशिक्षा के अंधेरे में उजियारा फैलाने की अनूठी पहल कोटा-बूंदी के सांसद ओम बिरला ने की है। शिक्षा का ऐसा मंदिर शुरू किया गया है जहां मां, दादी, नानी और बहु एक छत के नीचे ज्ञान का आखर सीखेंगी। देश में संभवत: यह पहला केन्द्र होगा, जहां मातृ शक्ति का एक पूरा केन्द्र संचालित होगा। इस केन्द्र से शिक्षा की डगर पर आगे बढऩे वाली महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर आर्थिक रूप से सम्बल बनाया जाएगा।
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कोटा से करीब 60 किमी दूर स्थित छोटे से गांव कचनावदा में सोमवार को सांसद बिरला ने मातृ ज्ञान केन्द्र की शुरुआत की। इस केन्द्र का उदघाटन करते वक्त सांसद बिरला शिक्षक की भूमिका में नजर आए। उन्होंने चॉक उठाया और ब्लैकबोर्ड अ.. लिखकर 58 वर्षीय नटी बाई से इसका मतलब पूछा तो उसने स्लैट पर अ.. से अनार लिख दिया…, इसके बाद बिरला केन्द्र में आने वाली सभी 45 महिलाओं से उनका नाम लिखने को कहा तो बत्ती से अगुलियां चलाना शुरू कर दिया। किसी ने पूरा तो किसी एक ही अक्षर लिखा..,बिरला ने महिलाओं का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि आग बत्ती पकडऩा सीखा है, कल आखर खिलेंगी.. यह आखर आपकी किस्मत बदलेंगे। यह भी पढ़ें
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महिलाओं के लिए गुलाबी साड़ी का ड्रेस कोड दिया गया है। पूरी पाठ्य सामग्री का बस्ता भी थमाया गया है। पहली बार ज्ञान के धाम पर पहुंचकर महिलाओं के चेहरे में खुशी झलक रही थी। इस मातृ केन्द्र पर 45 महिलाओं का पंजीयन हुआ है। क्षेत्रीय सांगोद विधायक हीरालाल नागर ने भी इसे अनूठी पहल बताते हुए कहा कि यह प्रयास आगे भी जारी रखेंगे। यह भी पढ़ें
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3000 से 4000 रुपए कमाएंगी महिलाएं इस मौके पर बिरला ने कहा कि करीब डेढ़ माह से इस केन्द्र का संचालन किया जा रहा है। गांव की 45 महिलाओं का इस केन्द्र पर पंजीयन करवाना शिक्षा की अलख के प्रति जागरुकता का संदेश है। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा का महत्व बताते हुए कहा कि इस केन्द्र की सभी महिलाओं का गांव में स्वयं सहायता समूह बनाएंगे और खुद के उत्पाद गांव में ही तैयार करेंगी। उन उत्पादों के विपणन की व्यवस्था की जाएगी। इस केन्द्र से जुड़ी प्रत्येक महिला आने वाले समय में हर माह तीन से चार हजार रुपए की कमाई कर सकेगी। यह भी पढ़ें
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बात आई तो प्रयास में जुट गयासांसद बिरला ने बताया कि दौरे के समय ग्रामीण महिलाओं से बात करने पर उनकी अशिक्षा के बारे में जानकारी होती थी तो ऐसी महिलाओं को शिक्षित करने की बात मन में आई। कोटा जिले के कई गांवों में सर्वे करवाया तो बड़ी संख्या में गृहस्थ महिलाएं अशिक्षित होने की जानकारी आई। लिहाजा, ऐसी महिलाओं के लिए स्कूल खोलने की योजना तैयार की है।
इन केन्द्रों में समाज और परिवार के ऐसे आधार को शिक्षा मिलेगी जो कि संस्कार और परम्पराओं को अगली पीढ़ी में स्थानान्तरित करता है। महिलाएं शिक्षा का महत्व समझें, परिवार के बालक-बालिकाओं को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रयासरत हों, इसी सोच के साथ मातृ ज्ञान केन्द्र शुरू किए जा रहे हैं। जिले में और भी केन्द्र खोले जाएंगे।
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