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कोटा

हे भगवान! वक्त ने बदली करवट तो जंजीरों से जकड़ गई 3 बच्चों की मां, 10 साल से पेड़ से बंधी है किरण

Human Story, Human Story Of kiran: बारां निवासी किरण दस बरस पहले आम लोगों की तरह जिंदगी जी रही थी फिर, वक्त ने ऐसी करवट बदली की जहन्नूम बन गई तीन बच्चों की मां की जिंदगी…

कोटाFeb 29, 2020 / 04:15 am

​Zuber Khan

human story of Kiran

हे भगवान! वक्त ने बदली करवट तो जंजीरों से जकड़ गई 3 बच्चों की मां, 10 साल से पेड़ से बंधी है किरण

संजय ओझा. मुंडियर. कस्बे के नजदीकी मामोनी गांव की किरण मेहता दस बरस पहले आम लोगों की तरह जिंदगी जी रही थी, शादी के बाद क्षेत्र के खटका गांव में ही उसका एक छोटा सा परिवार था, जिसमें उसके दो पुत्र और एक बेटी है। लेकिन एक दशक पहले वह ( Mentally Ill kiran ) मानसिक रूप से रोगी हो गई।
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पहले पति व परिजनों ने उपचार कराया, लेकिन वह स्वस्थ नहीं हुई, करीब दो साल पहले उसका पति महावीर मेहता दुनिया छोड़ गया। इसके बाद किरण को उसका भाई मामोनी गांव ले आया, इस दौरान कई बड़े शहरों में चिकित्सकों से उपचार भी कराया, लेकिन उसके ठीक नहीं होने पर उसे जंजीरों में जकड़ दिया गया। पूर्व में उसका पति भी जंजीरों से बांध कर रखता था। मानसिक रोगी किरण के भाई राकेश ने बताया कि उसकी बड़ी बहन किरण (40) की शादी पास ही खटका गांव में की थी।
वह अपने पति और तीन बच्चों के साथ खुशहाली से अपना जीवन जी रही थी, लेकिन पिछले दस बरस से उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया। राकेश ने बताया कि उसके पति ने मध्यप्रदेश के गवालियर व प्रदेश के कोटा समेत कई शहरों में इलाज करवाया, लेकिन वह स्वस्थ नहीं हुई। पति के गुजर जाने के बाद घर वालों ने भी उसका इलाज कराने की कोशिश की, लेकिन आर्थिक स्थिति आड़े आ गई। ऐसे में जंजीरे ही किरण का जीवन बनी हुई है। भाई का कहना है कि उसको खुला छोडऩे पर वह लोगों को पत्थर मारती है।
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उफ! जिंदगी का यह भी रूप
पीडि़त किरण पिछले 10 वर्षों से जानवरों से भी बदतर जिंदगी जी रही है वह उसके घर में ही एक पेड़ से नीचे लोहे की जंजीरों से बंधी रहती है और उसके परिजन सुबह, शाम खाना खिला देते हैं। कड़काती सर्दी और धूप व बरसात मानो उसकी जिंदगी में आते ही नहीं। यह सोचकर आमजन सिहर उठते हैं।
मां के हाल से बच्चे दुखी
अपनी मां किरण को इस हालत में उसके दोनों पुत्र व उनसे बड़ी एक बिटिया खासे दुखी हैं। मामा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, मां के उपचार के लिए कहीं से आर्थिक मदद भी नहीं मिल रही। प्रशासनिक स्तर भी कोई अधिकारी अथवा कर्मचारी उनकी पीड़ा नहीं समझ रहा। ऐसे में किरण की जिंदगी अधर में फंसी हुई है।
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पागलखाने ही भेज दो
मानसिक रोगी के भाई राकेश मेहता का कहना है कि दस वर्ष से किरण का मानसिक संतुलन सही नहीं है। कई बार इलाज करा चुके हैं। घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। अब हम इलाज कराने में सक्षम नहीं है। अब प्रशासन से ही मदद की कुछ उम्मीद है।
शासन ने पुलिस को जिम्मेदारी दी हुई है कि किसी मानसिक रोगी को जंजीरों से बांधकर रखा गया है तो उसे मुक्त करवाकर जयपुर मानसिक रोगी अस्पताल में छोड़ा जाए। उपचार की व्यवस्था वहां के चिकित्सक करेंगे। इस मामले से उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया जाएगा।
डॉ. महेश भूटानी, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी
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