हर साल मानसून की सक्रियता की दिशा दक्षिण-पूर्व (कोलकाता) से उत्तर-पश्चिम (जोधपुर-गंगानगर) की ओर बनती है। लेकिन इस साल द्रोणिका सामान्य दिशा से उत्तर-पूर्व की ओर खिसक गई है। इस कारण जुलाई के प्रथम सप्ताह में खास झमाझम नहीं हुई। मौसम विभाग का मानना है कि जुलाई के दूसरे सप्ताह के अंतिम दिनों में मध्य भारत (राजस्थान-मध्यप्रदेश का क्षेत्र) में बरसात की संभावना है। मूसलाधार बरसात जुलाई के तीसरे-चौथे सप्ताह में हो सकती है।
लोगों की मौत के बाद जागा निगम प्रशासन, पकड़े आवारा मवेशी क्या है द्रोणिका अरब सागर व बंगाल की खाड़ी से उठने वाले मानसून का यह कम दबाव का क्षेत्र होता है। जो दोनों ओर के मानसून की नमी के साथ बरसात की दिशा तय करता चलता है। मानसून की रफ्तार के साथ हर साल कम दबाव के क्षेत्र की दिशा में परिवर्तन हो जाता है। हर साल जिस दिशा में द्रोणिका सक्रिय होती है, अन्य भूभाग की अपेक्षा वहां पर बरसात का असर ज्यादा रहता है।
काल बनी गाय, वृद्धा को पटक-पटक कर मार डाला 3 सिस्टम में होती है बरसात अरब सागर व बंगाल की खाड़ी की नमी से एक द्रोणिका बंगाल की खाड़ी (कोलकाता) से पश्चिमी राजस्थान (जोधपुर-गंगानगर) तक बनती है। इसकी दिशा हमेशा दक्षिण पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर होती है। इस नमी के क्षेत्र के आसपास ही बरसात होती है। मानसूनी बादल भी इसी लाइन पर चलते हुए पूरे देश में बरसते हैं।
देश के कोने-कोने से आए हजारों स्टूडेंट्स ने कोटा लगाई ऑक्सीजन फैक्ट्री अरब सागर व बंगाल की खाड़ी की नमी से गुजरात-सौराष्ट्र के उपर एक दबाव क्षेत्र बनता है। इसके प्रभाव से बारिश होती है। यह क्षेत्र अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों ओर से नमी लेता है। पश्चिमी घाट से केरल तक एक लाइन होती है। इससे दक्षिण-पश्चिमी के इलाके में मानसून सक्रिय होता है।
OMG! अब तो मोबाइल भी लेने लगे हैं जान हर साल अरब सागर व बंगाल की खाड़ी कम दबाव के क्षेत्र की दिशा कोलकाता से गंगानगर तक रहती है, लेकिन इस बार यह दिशा थोड़ी हिमालय की ओर खिसक गई है। इससे वर्तमान में मानसून पूर्वी क्षेत्र में सक्रिय है। मध्य भारत में 11 जुलाई तक बरसात होने की संभावना है। वहीं जुलाई के तीसरे-चौथे सप्ताह के बाद ही मूसलाधार बरसात हो सकती हैं।
ए.पी. भाटिया, मौसम विज्ञानी, मौसम केंद्र, कोटा