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16 दिसम्बर से एक माह मांगलिक आयोजन पर ब्रेक, जानें क्या होता है मलमास

शादी ब्याह व मांगलिक आयोजनों का उल्लास सप्ताहभर और रहेगा। देव प्रबोधिनी एकादशी से मांगलिक आयोजन चल रहे हैं, लेकिन सप्ताहभर बाद 16 दिसम्बर से मल मास शुरू हो जाएगा। मलमास में शादी-ब्याह व मांगलिक आयोजन नहीं होंगे।

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कोटा

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Deepak Sharma

Dec 09, 2023

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शादी ब्याह व मांगलिक आयोजनों का उल्लास सप्ताहभर और रहेगा। देव प्रबोधिनी एकादशी से मांगलिक आयोजन चल रहे हैं, लेकिन सप्ताहभर बाद 16 दिसम्बर से मल मास शुरू हो जाएगा। मलमास में शादी-ब्याह व मांगलिक आयोजन नहीं होंगे।

ज्योतिषाचार्य शिवप्रकाश दाधीच के अनुसार 16 दिसम्बर से मलमास प्रारंभ होगा जो मकर संक्रांति पर 14 जनवरी तक रहेगा। 16 दिसंबर को दिन में 3:36 बजे ऊर्जा के दाता सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। एक माह सूर्य धनु राशि में रहकर 14 जनवरी को रात 2:15 बजे धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

इस दौरान शादी-विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन, गृह प्रवेश सभी प्रकार के मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। मलमास के बाद मार्च के मध्य तक शादियों की बहार रहेगी। लोगों ने अभी से ही शादी के लिए भवन, मैरिज गार्डन, टेंट, बैंड- बाजे बुक करवा लिए हैं।

क्या होता है मलमास
सूर्य के धनु अथवा मीन राशि में रहने को मलमास कहा जाता है। इस दौरान सूर्य देव अपने गुरु बृहस्पति की सेवा में रहते हैं। सनातन संस्कृति में सूर्य की साक्षी के अभाव में किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माना जाता। मलमास की ही तरह होलाष्टक, विवाह के प्रमुख कारक गुरु व शुक्र के अस्त होने पर मांगलिक आयोजन नहीं होते।

मलमास से पहले और बाद सावे
दाधीच के अनुसार मलमास लगने से पहले 8 व 15 दिसंबर को मांगलिक आयोजन होंगे। ब्रेक के बाद जनवरी में 16, 20, 22, 30, 31, फरवरी में 4, 6, 12, 18 फरवरी तथा मार्च में 4, 5, 6 व 7 मार्च को मांगलिक आयोजन होंगे। फिर मार्च मध्य से एक माह मलमास रहेगा। अप्रेल में 18, 19, जुलाई मेंं 9, 11 व 15 को शादी ब्याह होंगे।

ये अबूझ मुहूर्त
अबूझ विवाह मुहूर्त : 14 फरवरी बसंत पंचमी, 12 मार्च फुलेरा दूज, 10 मई अक्षय तृतीया व 23 मई पीपल पूर्णिमा का अबूझ सावा रहेगा।

बीच-बीच में ये ब्रेक
17 मार्च से 24 मार्च तक होलाष्टक के चलते, 14 मार्च से 13 अप्रेल तक मीन की संक्रांति के कारण मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। 7 मई से 2 जून तक गुरु व 23 अप्रेल से 30 जून शुक्र तारा अस्त रहेगा। गुरु व शुक्र के अस्त काल में किसी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं होंगे।