वन विभाग के डीएफओ जयराम पांडे ने बताया कि वन विभाग की टीम ने रात को पैंथर को सफलतापूर्वक ट्रेंकूलाइज कर रेस्क्यू कर लिया। बाद में पैंथर को वन विभाग की लाडपुरा रेंज कार्यालय में शिफ्ट किया गया।
रणथम्भौर से आई रेस्क्यू टीम के सदस्य राजवीर, डॉ. सीपी मीणा, वन मंडल लाडपुरा रेंज के रामस्वरूप, धर्मेंद्र चौधरी, वीरेंद्र हाड़ा, रमेशचंद मीणा. हरिमोहन, राधेश्याम ने मिलकर नांता महल से पैंथर का रेस्क्यू किया। इससे पहले दिनभर रणथंभौर से आई दो सदस्यीय फ्लाइंग रेपिड रेस्पांस टीम ने मंडल वन और वन्यजीव विभाग, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के साथ चर्चा कर पैंथर को रेस्क्यू करने की नई व्यूह रचना तैयार की है।
पैंथर को ललचाने के लिए शिकार को भी बदला गया। अधिकांश मूवमेंट रात में होता है। इससे रेस्क्यू करने में परेशानी हो रही है। पहले पैंथर के मादा होने व बच्चे साथ होने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन रेस्क्यू के बाद जांच में पैंथर नर मिला।
रेस्क्यू के हिसाब से महल टिपिकल था
& नांता महल रेस्क्यू के हिसाब से थोड़ी टिपिकल जगह थी। टीम ने उसे महल में चारों ओर से घेरकर पकडऩे की रणनीति पर काम किया। पैंथर का मूवमेंट रात को ही होता है। ऐसे में रात को उसे रेस्क्यू करने की योजना बनाई और देर रात उसे रेस्क्यू कर लिया गया। फिलहाल लाडपुरा रेंज ऑफिस में रखा गया है।
जयराम पांडे, डीएफओ, कोटा