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कोटा

आधार में ‘गड़बड़झाला’ एक ही नाम पर दो आधार, एक निरस्त फिर भी निकल रहे खाते से रुपए

लोगों के लिए आधार कार्ड बनवाना जी का जंजाल बन गया

कोटाNov 13, 2019 / 07:51 pm

Suraksha Rajora

आधार में 'गड़बड़झाला' एक ही नाम पर दो आधार, एक निरस्त फिर भी निकल रहे खाते से रुपए

आधार में ‘गड़बड़झाला’ एक ही नाम पर दो आधार, एक निरस्त फिर भी निकल रहे खाते से रुपए

कोटा . बूंदी जिले के दो लोगों के लिए आधार कार्ड बनवाना जी का जंजाल बन गया। दोनों के आधार कार्ड में नाम-पते एक ही हैं, जबकि फोटो अलग-अलग हैं। दोनों कार्ड भी अलग-अलग समय में एक ही व्यक्ति के पते पर डाक से पहुंचे। इसी दौरान एक व्यक्ति के खाते से जब चार हजार रुपए निकले तो वह इसका पता लगाने बैंक गया। वहां पता चला कि ई-मित्र पर आधार कार्ड से आपने ही पैसे निकाले हैं तो उसके होश उड़ गए।

रोचक यह कि उक्त दोनों व्यक्ति एक ही संस्थान में कार्य करते हैं। इस वजह से दोनों को इस गलती का पता चला। आधार में हुई गड़बड़ को ठीक करवाने के लिए दोनों जिला कलक्टर से लेकर जयपुर स्थित आधार के ऑफिस तक चक्कर काट चुके हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि गलती तो सुधरी नहीं लेकिन, एक का आधार ही सस्पेंड हो गया।

यह हुई गलती
बूंदी जिले के चोतरा का खेड़ा गांव निवासी शंकर सिंह ने 27 सितम्बर 2011 में कुन्हाड़ी नाका चुंगी चौराहा स्थित ई-मित्र पर आधार के लिए आवेदन किया था। इसी दिन बूंदी जिले के बरूंधन निवासी हाल निवास हटाई का चौक सकतपुरा निवासी लालचन्द ने भी आधार के लिए आवेदन किया।
इसमें पता सकतपुरा वाला दिया गया। दोनों के आधार बनकर डाक से शंकर सिंह के पते चोतरा का खेड़ा अलग-अलग समय पर पहुंचे। दोनों आधार में नाम-पता शंकर सिंह व आधार नम्बर एक ही थे, जबकि एक में फोटो लालचन्द का था तो दूसरे में शंकतीन हजार देकर दुबारा बनाया

कई साल बाद भी जब लालचन्द का आधार बनकर नहीं आया तो वह एक साल पहले उसी ई-मित्र पर आधार के लिए आवेदन करने पहुंचा। ई-मित्र संचालक ने उससे तीन हजार रुपए लेकर दुबारा आवेदन कर दिया। कुछ महीने बाद ही लालचंद का आधार उसके पते पर पहुंच गया। अब हुआ यह कि शंकर सिंह का आधार सस्पेंड हो गया।
इससे अब परेशानी यह हो रही है कि आधार सस्पेंड होने के बाद भी बैंक खाता शंकर सिंह का ही अटैच है। जब लालचंद अपने आधार से ई-मित्र पर रुपए निकालता है तो वह शंकर के खाते से निकल जाते हैं। अब दोनों इस गलती को ठीक करवाने के लिए एक साल से भटक रहे हैं, लेकिन यह गड़बड़ नहीं सुधर रही।

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