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Agricultural Commodity: किसानों को चने ने किया निराश, गेहूं से हो रही बल्ले-बल्ले

Agricultural Commodity: रबी फसल में चने के भावों से किसानों को इस वर्ष निराश हाथ लगी है। वहीं गेहूं का बाजार भाव एमएसपी से ऊपर होने से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलने से बल्ले-बल्ले हो रही है।

कोटाApr 30, 2022 / 11:38 am

Haboo Lal Sharma

किसानों को चने ने किया निराश, गेहूं से हो रही बल्ले-बल्ले

Agricultural Commodity: कोटा. रबी फसल में चने के भावों से किसानों को इस वर्ष निराश हाथ लगी है। वहीं गेहूं का बाजार भाव एमएसपी से ऊपर होने से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलने से बल्ले-बल्ले हो रही है। चना का बाजार भाव 4400 से 4600 रुपए है, जबकि एमएसपी 5230 रुपए है। नेफैड की ओर से समय पर चना की खरीद शुरू नहीं करने से किसानों को मजबूरन खुले बाजार में कम दर पर चना बेचने से भारी नुकसान उठाना पड़ा है जबकि गेंहू का बाजार भाव एमएसपी से 500 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल ज्यादा होने से किसानों को काफी फायदा हुआ है।
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कोटा सम्भाग में बुवाई व उत्पादन
फसल बुवाई (हैक्टेयर) उत्पादन (मैट्रिक टन)

गेहूं 478020 2261742

चना 172593 299129

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चने के बाजार भाव बढऩे की उम्मीद कम
व्यापारी मुकेश भाटिया ने बताया कि चने की आवक के साथ भाव 5000 का एवरेज चल रहा है। इसी भाव में नेफैड खरीद कर रही है तथा इसी भाव में स्टॉकिस्ट आ गए है। किसान निराश होकर चना निकाल रहे हैं। यदि चने की आवक के समय भाव 4000 से 4500 के बीच भाव होता तो चने का भाव 6 हजार रुपए तक पहुंच सकता था। पिछले वर्ष भी ऐसा ही हुआ। कम भाव के चलते किसानों ने चने को रोककर रखा, बाद में औने-पौने दामों में बेचना पड़ा। उन्होंने कहा कि चना सभी देशों में होता है। सरकार अन्य देशों से चना आयात कर लेती है। ऐसे में इस वर्ष भी चने के बाजार भाव बढऩे की उम्मीद कम है।
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विश्व में भारतीय गेहूं की डिमांड ज्यादा
उन्होंने बताया कि गेहूं की देश में 11 लाख टन पैदावार है। 3 से 4 लाख हजार टन सरकारी खरीद की जाती है। 2200 से 2500 टन एक्सपोर्ट हो जाता है। लेकिन इस वर्ष रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भारतीय गेहूं की डिमांड पूरे विश्व में अच्छी बनी हुई है। रूस व यूक्रेन दोनों देश मिलाकर विश्व को 30 प्रतिशत गेहूं की आपूर्ति करते थे जो युद्ध की वजह से नहीं हो पा रही। इसी तरह डिमांड चलती रही तो गेहूं का भाव आने वाले दिनों में 2700 से 3000 रुपए हो जाएगा। गेहूं की नई फसल आते ही स्टॉकिस्ट व निर्यातक बाजार में कूद पड़े, जिससे किसानों को काफी फायदा हुआ। वहीं बाजार भाव अच्छा होने से नेफैड व अन्य एजेंसियों को गेहूं बहुत कम मात्रा में मिला है।

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