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कोटा

बच्चों की जिंदगी से होते खिलवाड को देख प्रतिनिधियों को लगाई लताड़, अपना जमीर तो मत बेचो

राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग ने विभिन्न संगठनों की बैठक ली जिसमें कई लोगों को फटकार लगाई और बैठक से जाने के लिए भी कहा।

कोटाJan 19, 2018 / 08:39 am

abhishek jain

Meeting
कोटा.

कोचिंग विद्यार्थियों द्वारा की गई आत्महत्या की घटनाओं के मद्देनजर गुरुवार को राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्यों ने छात्रावास, कोचिंग क्षेत्र तथा बच्चों से जुड़ी संस्थाओं का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होने एक बैठक ली जिसमें कहा कोचिंग व हॉस्टल संचालक केवल सीट भरने के लिए बच्चों की जिंदगी से खिलवाड नहीं करें। बैठक में भी जिम्मेदार व्यक्ति नहीं आते। खानापूर्ति की जगह जमीर जिंदा करें।
राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य एसपी सिंह ने टेगौर हॉल में आयोजित बैठक में संस्था प्रतिनिधियों को लताड लगाई। जिस विभाग से जिम्मेदार अधिकारी की जगह जूनियर आए, उन्हें साफ कह दिया कि जवाब नहीं दे सकते तो यहां से चले जाएं। उन्होंने महिला बाल विकास की सीडीपीओ व यूआईटी उप सचिव कृष्णा शुक्ला को फोन कर बुला लिया। अन्य विभाग के अधिकारियों से कहा कि बैठक में तैयारी के साथ आया करें।
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इस दौरान जिंदगी फाउंडेशन की ईशा यादव ने ‘राजस्थान पत्रिका’ द्वारा हॉस्टल्स में दिखाई गई अव्यवस्थाओं की जानकारी दी। कहा कि, ‘पत्रिका’ ने लगातार हॉस्टल की कमियां उजागर की लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने आयोग को कई सुझाव भी दिए।
टीम में आयोग सदस्य एसपी सिह, उमा रत्नु व डॉ साधना सिंह, सा.न्याय एवं अधिकारिता उपनिदेशक राकेश वर्मा, बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश शर्मा उपस्थित रहे। बैठक में एडीएम सिटी बीएल मीणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर समीर कुमार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण गोपाल सिंह, स्काउट-गाइड के यज्ञदत्त हाड़ा समेत कई अधिकारी, हॉस्टल संचालक व विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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आरटीई में एडमिशन नहीं दें तो मान्यता रद्द करें
आयोग सदस्य उमा रत्नू ने कहा कि आंगनबाड़ी की स्थितियां किसी से छुपी नहीं। केवल हाजिरी लगाना और खाना खाने तक सीमित हैं। उन्होंने आंगनबाड़ी सेंटर्स को चेक करने के निर्देश दिए। उन्होंने आरटीई पर कहा कि जो स्कूल नि:शुल्क प्रवेश नहीं दें, उनकी मान्यता रद्द कर दें। बैठक में पुलिस थानों में बाल डेस्क, भिक्षावृत्ति रोकथाम, आत्महत्याओं पर अंकुश लगाने, बाल वाहिनी के चालकों को प्रशिक्षण देने, बाल वाहिनी पर हेल्पलाइन नम्बर लिखने, प्रत्येक हॉस्टल में वार्डन लगावाने के भी निर्देश दिए गए।
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