स्वास्थ्य परीक्षण निगरानी के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा कि लंगड़ाते हुए चलने का क्या कारण है। मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के चिकित्सक तेजेन्द्र सिंह रियाड़ के अलावा, रणथभौर से डॉ राजीव गर्ग व जयपुर से वाइल्डलाइफ के विशेषज्ञ चिकित्सक अरविंद माथुर को स्वास्थ्य जांच के लिए बुलवाया गया है।
जानकारी के अनुसार बाघिन के पैर में चोट लगने का अनुमान है। इससे पहले बाघिन की जंगल में काफी दिनों तक साइटिंग नहीं हुई थी। दो सप्ताह से अधिक समय के बाद 6 सितम्बर को इसके पैरों के निशान नजर आए थे।
इसके बाद 7 सितम्बर को विभाग की टीम को इसकी साइटिंग हुई थी। मंगलवार को चिकित्सकों ने इसके लंगड़ाते की पुष्टि की है। फिलहाल लंगड़ाकर चलने के पीछे कारण जो भी हो, लेकिन इसने विभााग के अधिकारियों व वन्यजीव प्रेमियों को चिंता में डाल दिया है।
यह भी चिंता
इधर टाइर रिजर्व के 82 वर्गकिलोमीटर के क्षेत्र में विचरण कर रहे बाघ एमटी-1 की मंगलवार को भी साइटिंग नहीं हुई है। बाघ की साइटिग भी गत माह में ही हुई थी। इसके बाद न तो इससे सम्बन्धित कोई साक्ष्य विभाग को मिला है न ही साइटिंग हुई है।
इनका है कहना
उपवन संरक्षक बीजो जॉय के अनुसार मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में मॉनिटरिंग के दौरान बाघिन पैर से लंगड़ाते हुए मिली है। बाघिन के स्वास्थ्य की निगरानी व परीक्षण करके आवश्यक उपचार के लिए अनुभवी व वरिष्ठ पशुचिकित्सकांें को बुलवाया गया है। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही लंगड़ाते हुए चलने के कारणों का पता चल सकेगा। ट्रेकिंग के दौरान बाघ एमटी-1 का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। क्षेत्र में मॉनिटरिंग दल द्वारा बाघों की ट्रेकिंग की जा रही है।