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शहर में आजकल सड़क किनारे जगह-जगह तिल्ली का तेल निकालने की घाणी लगी हुई। इस घाणी को मोटरसाइकिल का जुगाड़ कर चलाया जाता है। घाणी वाले पास ही टेबल पर सजाकर तिल्ली के तेल से भरी टंकिया रखकर घाणी से निकाला शुद्ध तेल नाम से बेच रहे हैं। भीलवाड़ा जिले से आकर यहां घाणी लगाकर तेल बेचने वाले युवक रामेश्वर से जब तेल का भाव पूछा तो उसने 350 रुपए किलो बताया। जब उससे तिल्ली लाकर देने व सामने तेल निकालने की बात कही तो वह ना नुकर करने लगा। ऐसी घाणियां शहर में करीब चार पांच जगह लगी हुई हैं, लेकिन कहीं भी घाणी से तेल निकालते हुए नहीं मिली। एक जगह पर घाणी में तेल निकालने की प्रक्रिया जरूर चल रही थी, लेकिन वह केवल लोगों को दिखाने के लिए।
शहर में आजकल सड़क किनारे जगह-जगह तिल्ली का तेल निकालने की घाणी लगी हुई। इस घाणी को मोटरसाइकिल का जुगाड़ कर चलाया जाता है। घाणी वाले पास ही टेबल पर सजाकर तिल्ली के तेल से भरी टंकिया रखकर घाणी से निकाला शुद्ध तेल नाम से बेच रहे हैं। भीलवाड़ा जिले से आकर यहां घाणी लगाकर तेल बेचने वाले युवक रामेश्वर से जब तेल का भाव पूछा तो उसने 350 रुपए किलो बताया। जब उससे तिल्ली लाकर देने व सामने तेल निकालने की बात कही तो वह ना नुकर करने लगा। ऐसी घाणियां शहर में करीब चार पांच जगह लगी हुई हैं, लेकिन कहीं भी घाणी से तेल निकालते हुए नहीं मिली। एक जगह पर घाणी में तेल निकालने की प्रक्रिया जरूर चल रही थी, लेकिन वह केवल लोगों को दिखाने के लिए।