
देश में आगामी दस वर्षों में एक लाख करोड़ रुपए की लागत से 10 परमाणु रिएक्टर्स का निर्माण किया जाएगा।
रावतभाटा(कोटा). रावतभाटा परमाणु बिजलीघर में सभी इकाइयां पूर्णतया सुरक्षित हैं। इन्हें बाहर से किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। न्यूक्लियर टेररिज्म की यहां कोई संभावना नहीं है। परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष व परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ.शेखर बसु ने शनिवार को यहां न्यूक्लियर फ्यूल कॉम्पलेक्स(एनएफसी) के शिलान्यास के बाद पत्रकारों वार्ता में यह बात कही।
उन्होंने बताया कि पानी में विशेष तरह का केमिकल मिलाकर परमाणु संयंत्र व इससे जुड़े प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचाने की संभावना जताई जाती है लेकिन जिन दो-तीन देशों में ये केमिकल उपलब्ध था, उन देशों ने इस पर रोक लगा दी है। रावतभाटा में परमाणु इकाइयों व एनएफसी संयंत्र की तकनीक भिन्न है। मल्टीलेयर तकनीक पर आधारित सुरक्षा है। इससे यहां न्यूक्लियर टेररिज्म की कोई संभावना नहीं। हम सतर्क हैं, लेकिन भयभीत नहीं।
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रोहिणी में मिले न्यूक्लियर ईंधन पर काम
बसु ने बताया कि अलवर के निकट रोहिणी में हाल ही न्यूक्लियर ईंधन (यूरेनियम) का पता चला है। सब कुछ ठीक रहा तो देश को बाहर से महंगा न्यूक्लियर ईंधन आयात नहीं करना पड़ेगा। इसके लिए पानी की व्यवस्था व आवश्यक एमओयू की कार्रवाई भी प्रकिया में है।
उन्होंने बताया कि देश में आगामी दस वर्षों में एक लाख करोड़ रुपए की लागत से 10 परमाणु रिएक्टर्स का निर्माण किया जाएगा। इसके प्रथम चरण में रावतभाटा में 7-7 सौ मेगावाट की दो इकाइयों का निर्माण चल रहा है। गोरखपुर में दो परमाणु इकाइयों के निर्माण की राह साफ हो गई है।
बांसवाड़ा में तलाश रहे संभावनाएं।
वार्ता में राजस्थान परमाणु बिजलीघर के स्थल निदेशक वीके जैन ने बताया कि राज्य में परमाणु ऊर्जा की संभावनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। बांसवाड़ा में माही के निकट प्रोजेक्ट के लिए संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। सर्वेक्षण चल रहा है। चीफ इंजीनियर की नियुक्ति भी की है। वहां परमाणु बिजलीघर की चार इकाइयों की स्थापना की योजना है।

Updated on:
09 Sept 2017 09:24 pm
Published on:
09 Sept 2017 08:54 pm
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