एसडीएम गौरव मित्तल ने बताया कि इस बारे में पत्रिका के माध्यम से जानकारी मिली। पूरे मामले में जांच करवा रहे हैं। वनविभाग, पुलिस व राजस्व विभाग की मीटिंग कर इस दुर्लभ स्थान की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। क्षेत्रीय वन अधिकारी भूपेन्द्र सिंह हाड़ा का कहना है कि क्रेटर व वनक्षेत्र की पुख्ता सुरक्षा हो इसके लिए उच्चाधिकारियों को रामगढ़ नाके पर पर्याप्त वनकमिर्मयों को तैनात करने के लिए लिखित में अवगत करवाएंगे। फिलहाल रेंज क्षेत्र में वनकर्मियों की भारी कमी है।
रामगढ़ गड्ढा, जिसे रामगढ़ संरचना, रामगढ़ डोम और रामगढ़ ज्योतिष के रूप में भी जाना जाता है। बारां जिले की मांगरोल तहसील में रामगढ़ गांव के निकट स्थित विंध्य श्रेणी के कोटा पठार में 3.5 किलोमीटर (2.2 मील) व्यास का एक उल्का पिंड से बना खड्ड है। इसे औपचारिक रूप से भारत में तीसरे गड्ढे के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसका व्यास आकार के तौर पर भारत में पहले से ही पुष्टि किए गए दो क्रेटरों के बीच का होगा। इनमें से पहला मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित ढाला 14 किमी व्यास के साथ और महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में लोनार 1.8 किमी व्यास शामिल हैं। इसे राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक के रूप में नामित किया गया है। इसके समीप भंडदेवरा मंदिर जिन्हें खजुराहो समूह के स्मारक की शैली के 10 वीं शताब्दी में बने शिव मंदिरों के समकालीन माना जाता है। इस के्रटर से 50-60 किमी दूर मप्र स्थित कूनों नेशनल पार्क है। कोटा से इस क्रेटर की दूरी 110 किमी, जयपुर से 250 और दिल्ली से 500 किमी है।