शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति की राह आसान बनाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नया पॉलिसी ड्राफ्ट जारी किया है। इसमें शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अब तक अनिवार्य रही एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडेक्स (एपीआई) को खत्म कर दिया है। नई नियमावली के मुताबिक अब राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित शोध, कक्षा में शिक्षक की उपस्थिति, विद्यार्थियों का रिजल्ट, कॉपी जांचने और कक्ष निरीक्षण के आधार पर शिक्षकों की पदोन्नति की जाएगी। ड्राफ्ट पर 28 फरवरी तक सुझाव और आपत्तियां मांगी गई हैं। यदि कोई आपत्ति नहीं आई तो यह व्यवस्था 9 फरवरी 2018 (ड्राफ्ट जारी होने की तिथि) से ही लागू मान ली जाएगी।
सीधी भर्ती नियमों में खासी शिथिलता लाने की तैयारी में जुटा आयोग पदोन्नति नियमों को सख्त करने जा रहा है। नई पॉलिसी के मुताबिक 2020 के बाद सिर्फ पीएचडी करने वाले शिक्षकों को ही प्रमोशन मिलेगा। बिना पीएचडी के कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) का फायदा भी शिक्षकों को नहीं मिलेगा।
उच्च शिक्षा में अभी असिस्टेंट, एसोसिएट और प्रोफेसर के तीन ही पद हैं, लेकिन यूजीसी अब सीनियर प्रोफेसर का नया पद सृजित करने जा रहा है। प्रोफेसर पद पर 10 साल के अनुभव और दो पीएचडी कराने वाले शिक्षकों को इस पद पर नियुक्त किया जाएगा। कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम और सीधी भर्ती के जरिए यह पद भरा जाएगा। सीधी भर्ती के लिए विश्वविद्यालय को अखिल भारतीय स्तर पर विज्ञापन देना होगा।
नियुक्ति का नया आधार
असिस्टेंट प्रोफेसर: सीधी भर्ती के लिए अब ‘नेटÓ और ‘स्लेटÓ की अनिवार्यता खत्म होगी। पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को भी इस पद पर नियुक्त किया जा सकेगा।
एसोसिएट प्रोफेसर: सीधी भर्ती के लिए अभी 8 साल का शैक्षणिक अनुभव और 300 अंक की एपीआई के साथ पीएचडी होना अनिवार्य योग्यता है, अब 8 साल के शैक्षणिक अनुभव और मान्यता प्राप्त रिसर्च जर्नल में 7 शोधपत्र प्रकाशित कराने वाले अभ्यर्थी भी पात्र होंगे।
अब शिक्षकों को 5 घंटे नहीं, न्यूनतम 7 घंटे विश्वविद्यालय परिसर में रहना होगा।
सेवानिवृत्त शिक्षकों को 70 साल की उम्र तक संविदा पर तैनात किया जा सकेगा।
ओपन ऑनलाइन कोर्स लिखने वाले शिक्षकों को प्रमोशन पाइंट देने का
विशेष प्रावधान किया गया है।