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फसलें नहीं हो रही
अगर किसान जैसे-तैसे कुछ पैदा भी कर ले तो उसके भाव नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि पानी की कमी से फ सल की गुणवत्ता नहीं रहती है। अब किसान आर-पार की लड़ाई का मन बना चुका है। इसके लिए गांव-गांव अलख जगाई जा रही है, घर-घर पीले चावल बांटे जा रहे हैं। इन सभी की एक ही मांग है कि इलाके के लिए लिफ्ट सिंचाई परियोजना स्वीकृत की जाए। Big News: कोटा में पार्षद पति ने कांग्रेस एससी-एसटी प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष की कार पर बरसाए लट्ठ, जान से मारने की दी धमकी
इन इलाकों में त्राहिमाम् चौमा मालियान : गांव चार चौमा, चौमा बिबु, चौमा कोट, गिरधरपुरा, सदेहड़ी, रामड़ी, डंगावत, बंगोरी।
ग्राम पंचायत भाण्डाहेड़ा : सुधना, टहला, बरघु, कुराड़ी।
ग्राम पंचायत रेलगांव : रेलगांव, हनौतिया।
ग्राम पंचायत कुराड़ : कुराड़, तूमड़ा, ब्रज नगर, ब्रजलिया, धुरेला, खाती खेड़ा, बंधा।
1990 से इस क्षेत्र के किसानों ने अपने ट्यूबवेल का सहारा लिया तथा टरबाइन सिस्टम, जनरेटर व विद्युत शक्ति के माध्यम से भूमि को सिंचित करने का प्रयास किया। जल स्तर गहराता चला गया। किसान ने कर्ज लेकर पानी लाने का जतन शुरू किया, जो अभी तक जारी है। कर्ज बढ़ता गया। कभी जमीन बिकी तो कभी गहनें, कभी घर तो कभी टै्रक्टर साहूकार का मूल तो क्या ब्याज भी चुका पाना मुश्किल हो गया है।
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सवाल राजनीति का तो नहींलाडपुरा विधानसभा के गांव अब सिंचित होते चले जा रहे हैं, यहां का जल स्तर बढ़ता जा रहा है। लाडपुरा विधानसभा की धरती सोना उगलने लग गई, वहीं इससे सटी हुई सांगोद विधानसभा की जमीन से पानी 1100 फीट तक पहुंच गया। लाडपुरा में बालापुरा लिफ्ट परियोजना व किशनपुरा लिफ्ट परियोजना शुरू होने से धरती पर फसलें लहरा रही हैं। किसान खुशहाल होने लगा है। कर्ज कम होता चल गया। हर खेत को पानी मिल रहा है।