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कोटा

रेलवे के निजीकरण के विरोध में रेलकर्मियों का हल्ला बोल, कोटा में घेरा वीआईपी गेट

रेलकर्मियों ने घेरा स्टेशन का वीआईपी द्वार
 

कोटाOct 23, 2019 / 08:50 pm

Rajesh Tripathi

रेलवे के निजीकरण के विरोध में रेलकर्मियों  का हल्ला बोल, कोटा में घेरा वीआईपी गेट

रेलवे के निजीकरण के विरोध में रेलकर्मियों का हल्ला बोल, कोटा में घेरा वीआईपी गेट

कोटा। देशभर के 50 स्टेशनों व 150 ट्रेनों को निजी हाथों द्वारा संचालित कराने के प्रस्ताव के विरोध में ऑल इण्डिया रेलवेमैन्स फैडरेशन के आव्हान पर अखिल भारतीय स्तर पर प्रदर्शन व रैली निकाले जाने के निर्णय के तहत वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाईज यूनियन द्वारा मंडल की सभी शाखाओं ने अपने अपने मुख्यालय स्टेशनों पर रैली निकाल कर प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराया गया।
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यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि इसी कड़ी में बुधवार को कोटा में हजारों की संख्या में रेलकर्मचारियों व उनके परिवार के सदस्यों ने रैली व प्रदर्शन कर सरकार के निर्णय का विरोध किया। गालव ने बताया कि रैली यूनियन के मंडल कार्यालय से प्रारंभ की गई जो स्टेशन के मुख्य बाजारों से होती हुई रेलवे स्टेशन कोटा के सामने आम सभा में परिवर्तित हो गई।
इस दौरान कर्मचारियों व उनके परिवार के सदस्यों द्वारा मानव श्रृंखला बनाकर फैसले के खिलाफ संकल्प लिया। उपस्थित रेलकर्मचारियों ने संकल्प लिया कि रेलों का प्राईवेटाईजेशन किसी भी हालात में बर्दास्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए हमें किसी भी स्तर पर विरोध करना पड़े। रेलवे स्टेशन के समक्ष रेलप्रशासन के आदेशों की प्रतियां जलाई।
ट्रेन रोकनी पड़ी तो रोकेंगे
गालव ने अपने संबोधन में रेलकर्मियों को एकता बनाये रखने व पूरी शक्ति के साथ विरोध करने का आव्हान किया उन्होने बताया कि ऑल इण्डिया रेलवेमैन्स फैडरेशन के महामंत्री ने सम्पूर्ण रेलों पर रेलकर्मचारियों की हितों की रक्षा हर हाल में किए जाने का आश्वासन दिया है व भारत सरकार के ट्रेनों व स्टेशनों को निजी फर्मों से संचालित करने के प्रस्ताव पर रोक नहीं लगाई तो रेलों को जाम करने का निर्णय भी यदि एआईआरएफ को लेना पड़ेगा तो संकोच नहीं किया जाएगा। उन्होने अवगत कराया कि रेल के प्राईवेटाईजेशन से आज जनता व इससे जुडे लाखों परिवार प्रभावित हो रहे है। कम वेतन भोगी कर्मचारी व आम व्यक्ति को ट्रेन यात्रा मंहगी होती चली जाएगी। जिससे शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चे व नौकरी के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले बच्चों व उनके परिवारों पर अधिक यात्रा खर्च का भार भुगतना होगा तथा आमजन इससे प्रभावित होने के साथ साथ कई सुविधाओं व आवश्यकताओं से वंचित होगें।
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