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कुचामन शहर

निवेशकों के लिए जहर बनी संजीवनी, दो हजार निवेशकों के पांच करोड़ रुपए अटके

कुचामनसिटी. Sanjeevani became poison for investors Five crore rupees of stuck संजीवनी के्रडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी कुचामन के निवेशकों के लिए भी जहर बन गई है। अकेले कुचामन शहर के ही दो हजार निवेशकों के पांच करोड़ रुपए डूबने की कगार पर आ गए हैं। सोसायटी का ऑफिस भी पिछले एक सप्ताह से बंद पड़ा है। दफ्तर के लटके ताले निवेशकों की चिंता बढा रहे हैं। ऐसे में सोसायटी के एजेंटों ने तहसीलदार को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की है।

कुचामन शहरSep 21, 2019 / 12:03 pm

Hemant Joshi

 कुचामनसिटी. सोसायटी में जमा धन को दिलवाने की मांग को लेकर तहसीलदार दयाराम रूयल को ज्ञापन सौंपते सोसायटी के कर्मचारी व एजेन्ट।

कुचामनसिटी. सोसायटी में जमा धन को दिलवाने की मांग को लेकर तहसीलदार दयाराम रूयल को ज्ञापन सौंपते सोसायटी के कर्मचारी व एजेन्ट।

Sanjeevani became poison for investors Five crore rupees of stuck संजीवनी के्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड का कार्यालय पर ताला लटका होने पर संस्था के एजेन्टों व निवेशकों का चैन छिन गया है, क्योंकि न तो कुचामन में सोसायटी के कार्यालय पर कोई मिल रहा है और न ही संस्था के कोई पदाधिकारी फोन उठा रहे है। इस सोसायटी का मामला एसओजी में जाने के कारण एजेन्टों व निवेशकों चिंता ओर भी बढ़ गई है। जिन निवेशकों ने लाखों रुपए दुगुना होने के चक्कर में एजेन्टों के मार्फत सोसायटी में निवेश किए थे, वही निवेशक अब एजेन्टों व कार्यालय में चक्कर लगा रहे है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुचामन कार्यालय में संस्था के लगभग 2000 निवेशक और 16 0 एजेन्ट है। जनता की जमा पूंजी कैसे वापस आएगी, यह कोई भी नहीं बता रहा है। बताया जा रहा है कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में करीब 2000 निवेशकों के साढ़े पांच करोड़ से अधिक रुपए अटक गए है। निवेशकों ने निर्धारित समय सीमा पूरी होने पर राशि मांगने पर एजेन्टों के पास भी टालमटोल करने अलावा कुछ भी नहीं बचा है। अब निवेशक पुलिस के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। गौरतलब है कि संजीवनी के्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेक के सीएमडी विक्रमसिंह को एसओजी ने गिरफ्तार कर लिया है तथा सोसायटी की ओर से किए गए घोटाले की जांच कर की जा रही है।
एजेन्टों व कर्मचारियों की जान पर बनी आफत
Sanjeevani became poison for investors Five crore rupees of stuck संजीवनी के्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी में कई एजेन्ट व कर्मचारी ऐसे है जिन्होंने किसी ने 50 लाख तो किसी 70 लाख रुपए का निवेश कर रखा है। एक एजेन्ट ने एक करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है। हालांकि एजेन्टों व कर्मचारियों की ओर से की गई निवेश पूंजी ऐसे जरूरतमंद लोगों की जिन्होंने अल्प समय में ही दुगुना या ज्यादा रुपए होने के लालच में निवेश किया है। जिन लोगों ने एजेन्ट के द्वारा निवेश किया है वो लोग अब एजेन्ट के चक्कर लगा रहे है। एजेन्टों के साथ अब हाथापाई या कहासुनी तक की नौबत आने लगी है।
एजेन्टों व कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंपकर उठाई फंसा जनता का धन दिलवाने की मांग
Sanjeevani became poison for investors Five crore rupees of stuck इस सम्बध में राजेश सैनी, गिरीराज गुर्जर, जसवन्त सिंह, श्रवण कुमार, भंवरलाल कुमावत, रामेश्वरलाल, मुकेश कुमार, महेन्द्रसिंह, शक्तिसिंह, मुकेश सैनी सहित संस्था के एजेन्ट व कर्मचारियों ने उपखण्ड अधिकारी बाबूलाल जाट व तहसीलदार दयाराम रूयल को ज्ञापन सौंपकर एजेन्टों की सुरक्षा करवाने व आमजन का फंसा धन निकलवाने की मांग की है। एजेन्टों ने ज्ञापन में लिखा है कि संजीवनी के्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड बाड़मेर रजिस्ट्रार में पंजिकृत है। तथा उत्तरोतर प्रगति करने पर सोसायटी को ‘अ’ श्रेणी का प्रमाण पत्र व ‘आईएसओ’ पत्र भी मिला है। सहकारिता विभाग के नियमों के अनुसार ही संस्थान ने लेनदेन का कार्य किया था। एजेन्टों ने कहा कि जून के प्रथम सप्ताह में सरकारी जांच के नाम पर कार्य बाधित हुआ। जिसके कारण जून प्रथम सप्ताह से जनता का जमा धन इन संस्थाओं द्वारा भुगतान नहीं किया जा रहा है। तीन माह से अधिक समय हो गया है एवं परिपक्वता राशि बढ़ती ही जा रही है। जिससे कई गरीब मजदूरी कर पैसा जमा किए वो अब पैसा नहीं मिलने से असहाय हो गए है। एजेन्टों ने बताया कि कई विधवाएं, सेवानिवृत जिनका घर संस्थाओं में जमाधन के ब्याज से चलता है उनके घर में अब खाने के भी लाले पड़ रहे है। जिसके बाद अब आमजन एजेन्टों व कर्मचारियों को पडताडित कर रहे है। एजेन्टों ने कहा कि आमजन को जमा धन नहीं मिलने पर अब एजेन्ट असुरक्षित महसुस कर रहे है।
दफ्तर के लटका ताला

office close Sanjeevani investors Five crore rupees of stuck सोसायटी के कुचामन में दफ्तर पर पिछले करीब एक सप्ताह से ताला लटका हुआ है। ऐजेंटों का कहना है कि सोसायटी के पदाधिकारियों के फोन भी बंद आ रहे हैं और निवेशक एजेंटों पर अपने पैसों के लिए दबाव बना रहे हैं। ऐसे में शहर के ही एजेंट सोसायटी और निवेशकों के बीच फंस गए है। हालांकि एजेंट भी सोसायटी के साथ बराबर के जिम्मेदार है, एजेंटों के मार्फत ही निवेशकों ने सोसायटी में निवेश किया था।

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