अधिकारियों से मदरसे की बाबत जानकर लोग भी हैरान थे। अधिकारियों के अनुसार केवल कागजों पर संचालित इन मदरसों में विद्यार्थियों का नामांकन भी है, विद्यार्थियों के नाम से छात्रवृति के साथ ही प्रत्येक सरकारी सुविधा भी मदरसा संचालकों द्वारा प्राप्त की जाती हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर गठित जांच टीम ने जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी है। जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी ने ऐसे फर्जी मदरसों के प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति भी कर दी है। जिलाधिकारी को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार जिले में संचालित हो रहे 1125 मदरसों में से 159 मदरसे उप्र मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त है, वहीं 966 को जनपद स्तर पर मान्यता दी गई है। स्थलीय निरीक्षण में 1051 मदरसों का लोकेशन एवं चौहद्दी मानक के अनुसार मिला जबकि 74 मानक के विपरीत। 468 मदरसे मदरसा आधुनिकीकरण योजना से आच्छादित मिले, जबकि 657 आच्छादित नहीं मिले। 53 मदरसों के बच्चों को छात्रवृत्ति मिली है, वहीं 1072 मदरसों के बच्चे छात्रवृत्ति से वंचित हैं। 32 मदरसों को सांसद व विधायक निधि से भी अनुदान मिला है। 1093 मदरसों को किसी भी जनप्रतिनिधि की निधि से कोई अनुदान नहीं मिला है। जनपद के 891 मदरसे अस्तित्व में मिले, जबकि 234 का कहीं पता नहीं चल सका। 942 मदरसों में शौचालय व मूत्रालय मुकम्मल मिले। गौरतलब है कि जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने कुशीनगर के 1125 मदरसों की स्थलीय जांच के लिए 159 अफसरों की टीम गठित कर रिपोर्ट मांगी थी।