यूपी के गांवों में भी कोरोना वायरस की दस्तक, मृत्यु दर बढ़ी कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच उपचाराधीन में ऑक्सीजन की कमी की समस्या सबसे अधिक देखी जा रही है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने से कई कोरोना पॉजिटिव को अस्पताल जाने की जरूरत भी पड़ रही है, लेकिन होम आइसोलेशन में रह रहे मरीज अपने सोने के पोजीशन में थोड़ा बदलाव कर ऑक्सीजन की कमी को दूर कर सकते हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयए भारत सरकार ने इस संबंध में पोस्टर के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी है।
सोने के चार फायदेमंद पोजीशन :- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए सोने की चार पोजीशन को महत्वपूर्ण बताया है। जिसमें 30 मिनट से दो घन्टे तक पेट के बल सोए, 30 मिनट से दो घन्टे तक बाएं करवट, 30 मिनट से दो घन्टे तक दाएं करवट, 30 मिनट से दो घन्टे तक दोनों पैर सीधाकर पीठ को किसी जगह टिकाकर बैठने की सलाह दी गयी है। यद्यपि, मंत्रालय ने प्रत्येक पोजीशन में 30 मिनट से अधिक समय तक नहीं रहने की भी सलाह दी है।
पेट के बल लेटने का तरीका :- अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ डीसी दोहरे ने बताया, यदि किसी कोरोना पाजिटिव को सांस लेने में दिक्कत हो रही हो और ऑक्सीजन लेवल 94 से घट गया हो तो ऐसे लोगों को पेट के बल सोने की सलाह दी गयी है।
अधिकतम दो घंटे लेट सकते हैं :- डॉ डीसी दोहरे ने बताते हैं कि, इसके लिए सबसे पहले वह पेट के बल लेटें। एक तकिया अपने गर्दन के नीचे रखें। एक या दो तकिया छाती के नीचे रख लें। दो तकिया पैर के टखने के नीचे रखें। इस तरह से 30 मिनट से दो घंटे तक सो सकते हैं।
ये जांच आवश्यक :- डॉ डीसी दोहरे ने बताया कि, इसके साथ ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बात पर भी विशेष जोर दिया है कि होम आईसोलेशन में रह रहे मरीजों की तापमान की जांच, ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन के स्तर की जांच, ब्लड प्रेसर एवं शुगर की नियमित जांच होनी चाहिए।
इन बातों का रखें ख्याल :- – खाने के एक घन्टे तक पेट के बल सोने से परहेज करें।
– पेट के बल जितनी देर आसानी से सो सकते हैं बस।
– तकिए को इस तरह रखें जिससे सोने में आसानी हो।
– पेट के बल जितनी देर आसानी से सो सकते हैं बस।
– तकिए को इस तरह रखें जिससे सोने में आसानी हो।
पेट के बल सोने से बचें :- गर्भावस्था।
नसों में खून बहाव को लेकर कोई समस्या।
गंभीर हृदय रोग।
स्पाइन, फीमर एवं पेल्विक फ्रैक्चर की स्थिति में।
नसों में खून बहाव को लेकर कोई समस्या।
गंभीर हृदय रोग।
स्पाइन, फीमर एवं पेल्विक फ्रैक्चर की स्थिति में।