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जानिए एक हाई प्रोफाइल सीईओ की नियुक्ति, विवाद और इस्तीफे तक का सफर

यह फैसला लेने से पहले मैंने नफे-नुकसान समेत कई मुद्दों के बारे में विचार किया। मेरे पास इस्तीफा देने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था। 

नई दिल्लीAug 19, 2017 / 12:07 pm

manish ranjan

Sikka

नई दिल्ली। इंफोसिस बोर्ड और फाउंडर्स के बीच तनातनी को वजह बताकर इंफोसिस के सीईओ पद से इस्तीफा देते हुए विशाल सिक्का ने कहा कि वे कई दिन, दरअसल हफ्तों तक इस फैसले को लेने का विचार कर रहे थे। यह फैसला लेने से पहले मैंने नफे-नुकसान समेत कई मुद्दों के बारे में विचार किया और फिर इस नतीजे पर पहुंचा। पिछली कई तिमाहियों से मुझ पर झूठे, आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण और व्यक्तिगत हमले किए गए और ये आरोप कई स्वतंत्र जांचकर्ताओं द्वारा बार-बार झूठे साबित हुए। इसके बावजूद हमले जारी रहे और बदतर होते गए। मेरे पास इस्तीफा देने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था। दूसरी तरफ नारायण मूर्ति ने सिक्का के आरोपों से आहत होकर कहा कि मैं अपने बच्चों के लिए पैसे नहीं मांग रहा हूं। सभी आरापों का सही समय पर जवाब दूंगा।


तीन साल पहले बने थे कंपनी के सीईओ

विशाल सिक्का तीन साल पहले इंफोसिस के सीईओ बने थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कंपनी में कई बदलाव किए। उनके कई फैसले कंपनी के फाउंडर्स जैसे नारायण मूर्ति को पसंद नहीं आए और दोनों के विचारों में मतभेद शुरू हो गए और इसके संकेत एक साल पहले दिखने शुरू हो गए थे।


कौन हैं सिक्का

1 जून, 1967 को मध्य प्रदेश के शाजापुर में पैदा हुए विशाल सिक्का 6 साल की उम्र में माता-पिता के साथ गुजरात चले गए। गुजरात में ही उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया। बाद में न्यूयॉर्क की साइराक्यूज यूनिवर्सिटी से बीएस की डिग्री ली और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट किया। 2002 में सिक्का ने सैप ज्वाइन की। 4 मई, 2014 में उन्होंने सैप छोड़ दी और 12 जून, 2014 को इंफोसिस का सीईओ बने।


सिक्का का अहम योगदान

बोर्ड के चेयरमैन आर. सेशासाई ने कहा कि इन्फोसिस के ट्रांसफार्मेशन में सिक्का ने अहम योगदान दिया है। उनको कंपनी को नई दिशा, एनर्जी और मकसद देने के लिए याद किया जाएगा। इंडस्ट्री और कंपनी के फ्यूचर के लिए सिक्का का विजन आगे भी रेफरेंस प्वाइंट के तौर पर रहेगा। बोर्ड ने सिक्का की लीडरशिप और कंपनी के लिए कॉन्ट्रीब्यूशन की भी सराहना की। बयान में कहा गया है कि सिक्का को एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन अप्वाइंट किया गया है। वे नए परमानेंट चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और मैनेजिंग डायरेक्टर के कामकाज संभालने तक अपने पद पर रहेंगे। नई नियुक्तियां 31 मार्च, 2018 से पहले होंगी।


सिक्का ने लिखा कर्मचारियों को पत्र

सिक्का ने कर्मचारियों को लिखे पत्र में कहा कि वह कई दिनों से इस फैसले के बारे में सोच रहे थे, लेकिन पिछले कुछ तिमाही के माहौल को देखते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कंपनी की 3 साल की सफलता के बावजूद उनके साथ खराब व्यवहार हुआ, व्यक्तिगत प्रहार बढ़ते रहे, ऐसे में वह नई इनोवेशन नहीं कर सकते और बतौर सीईओ कंपनी के साथ नहीं रह सकते।


3 साल में जितना कमाया 3 घंटे में उसका 45 फीसदी गंवाया

इंफोसिस को विशाल सिक्का के आने के बाद जितना फायदा हुआ था उसका करीब 45 फीसदी इस्तीफा से ही खत्म हो गया। जून 2014 में सिक्का के कार्यभार संभालने के समय इंफोसिस की मार्केट कैप लगभग 1.80 लाख करोड़ रुपए थी और पिछले कर गुरुवार तक इसकी मार्केट कैप 2.35 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी। शुक्रवार को कंपनी के शेयर में करीब 13 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई जिससे मार्केट कैप लगभग 2.10 लाख करोड़ रुपए रह गई है। जून 2014 से लेकर 17 अगस्त 2017 तक इंफोसिस की मार्केट कैप में लगभग 55 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हुई थी। शुक्रवार को 3 घंटे में ही यह घटकर 30 हजार करोड़ रुपए रह गई। यानी 3 साल की मेहनत से कंपनी को जितना फायदा दिया था उसका 45 फीसदी सिर्फ 3 घंटे में त्यागपत्र से ही साफ हो गया।


3 साल में सिक्का के 5 अहम फैसले

1. वर्क कल्चर में बदलाव
2. मैटरनिटी लीव बढ़ाना व इम्प्लॉइज की फैमिली के लिए इवेंट्स
3. ऑटोमेशन और नई टेक्नोलॉजी पर जोर
4. कंपनी को भविष्य के लिए तैयार करना
5. ट्रेनिंग प्रोग्राम में किया बदलाव


इन 4 फैसलो से नारायण मूर्ति हुए नाराज

जयंत सिन्हा की पत्नी पुनित सिन्हा को इंडिपेंडेंट डायरेक्टर बनाने पर विवाद हुआ। पूर्व सीएफओ राजीव बंसल को दिया गया हाई सेवरेंस पैकेज को लेकर फाउंडर्स और बोर्ड के बीच विवाद रहा। कंपनियां खरीदने की एग्रेसिव स्ट्रैटजी
सिक्का को 2016-17 में कुल 45.11 करोड़ का पेआउट पर सवाल उठा।


बोर्ड के आरोपों से नारायण मूर्ति आहत

सीईओ विशाल सिक्का के इस्तीफे पर इन्फोसिस बोर्ड द्वारा अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से को-फाउंडर नारायण मूर्ति खासे आहत हुए। उन्होंने कहा कि ऐसे आरोपों का जवाब सही समय पर और उचित तरीके से दिया जाएगा। गौरतलब है कि कंपनी के बोर्ड ने सिक्का पर लगे आरोपों को लेकर मूर्ति पर हमला बोला था।

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