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इस नई टेक्नोलॉजी से जल्द मिलेगी फेक कॉल और SMS से राहत! जानिए बड़ी बातें

ट्राई (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) अब एक नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है जिसकी मदद से आपको फेक कॉल और SMS से जल्द ही राहत मिलेगी। हाल ही में ट्राई(TRAI)ने बताया कि फाइनेंसियल फ्रॉड को रोकने के लिए अन्य रेगुलेटर्स के साथ एक जॉइंट एक्शन प्लान पर काम कर रहें हैं।

नई दिल्लीDec 02, 2022 / 12:00 pm

Bani Kalra

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आजकल दिन भर में कई फेक कॉल्स और SMS आते हैं जोकि यूजर्स के लिए नुकसानदायक भी सभीत होते हैं। लेकिन जो लोग आपको फेक कॉल्स या sms करते हैं उनके लिए जल्द ही ऐसा करना संभव नहीं हो पायेगा। ट्राई(भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) अब एक नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है जिसकी मदद से आपको फेक कॉल और SMS से जल्द ही राहत मिलेगी। हाल ही में ट्राई (TRAI)ने बताया कि फाइनेंसियल फ्रॉड को रोकने के लिए अन्य रेगुलेटर्स के साथ एक जॉइंट एक्शन प्लान पर काम कर रहें हैं।

इससे जल्द ही फेक कॉल और मैसेज का पता लगाया जा सकेगा, जिसके लिए सर्कार ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी पर काम करने जा रही है।ट्राई के अनुसार फेक कॉल्स या फेक कम्युनिकेशन लोगो के लिए बड़ा ख़तरा है क्योंकि उससे लोगो की पर्सनल इनफार्मेशन शेयर होने की समस्या होती है।


फेक या प्रोमोशनल कॉल्स और मैसेज को कम करने के लिए ट्राई ने टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशंस कस्टमर प्रेफरेंस रेगुलेशंस-2018 भी जारी किया है। इस रेगुलेशन के तहत सभी कमर्शियल प्रमोटर्स और टेली मार्केटर्स को डीएलटी प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन करने और कस्टमर्स को उनकी पसंद के समय और दिन पर ही मैसेज करने की अनुमति देता है। ग्राहकों को कॉल या मैसेज करने के लिए ग्राहकों से ही मंजूरी मिलना अनवार्य होगा। इसके साथ ही मैसेज भेजने का फॉर्मेट भी तैयार किया जाएगा। आपको बता दें, अभी तक करीब 2.5 लाख एंटिटीज ने डीएलटी के लिए रजिस्ट्रेशन किया है।

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ट्राई कई रेगुलेटर्स के साथ मिलकर यूटीएम से भी यूसीसी की जांच के लिए जरूरी कदम उठा रहा है। इस प्रोसेस में यूसीसी डिटेक्ट सिस्टम का कार्यान्वयन, डिजिटल सहमति अधिग्रहण का प्रावधान, हेडर और मैसेज टेम्प्लेटकी इंटेलिजेंट स्क्रबिंग, एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और एमएल (मशीन लैंग्वेज) आदि का उपयोग किया जा रहा है। ट्राई ने रेगुलेटर्स की एक जॉइंट कमेटी बनाई है,जिसमें आरबीआई, सेबी, उपभोक्ता मामले विभाग के प्रतिनिधि शामिल हैं। आपको बता दें, 10 नवंबर को कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें दूरसंचार विभाग (DoT) और गृह मंत्रालय (MHA) के अधिकारी भी शामिल थे।

 

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