1. सूर्य के उदय होने की दिशा पूर्व होती है। इसलिए ध्यान रखें कि जब भी सूर्य देव को जल चढ़ाएं आपका मुख पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए।
2. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए कभी भी स्टील, कांच और प्लास्टिक आदि के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके कार्य के लिए तांबे के पात्र का उपयोग करना ही उचित माना गया है।
3. साथ ही केवल जल अर्पण नहीं करना चाहिए। आप तांबे के लोटे को जल से भरकर उसमें कुमकुम, अक्षत और लाल रंग के फूल भी डाल लें।
4. ध्यान रखें कि कभी भी एक हाथ से लोटा पकड़कर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। सूर्य देव को अर्घ्य देने का सही तरीका है कि आपको तांबे के लोटे को दोनों हाथों से पकड़कर अपने सिर के ऊपर से हाथों को करके जल देना चाहिए।
5. अक्सर लोग जो बहुत बड़ी गलती करते हैं वह यह है कि सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान जल के छींटे उनके पैरों पर पड़ रहे होते हैं जो कि बिल्कुल गलत है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा होने पर आपकी पूजा अधूरी मानी जाती है। इसका उपाय यह है कि आप सूर्य देव को अर्घ्य देते समय किसी गमले या पौधे के आगे खड़े हो जाएं ताकि पानी इधर-उधर पैरों में ना पड़े।
6. इस बात का ख्याल रखें कि जल चढ़ाते समय आपको सूरज की किरणें उस पानी की धार में दिखनी चाहिएं। साथ ही जल अर्पण के दौरान सूर्य मंत्र का जाप करना भी शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इससे सभी नव ग्रहों को मजबूती मिलती है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
2. ऊँ खगाय नम:
3. ऊँ भास्कराय नम:
4. ऊँ रवये नम: