2024 के चुनावों से पहले अखिलेश यादव तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। इसके लिए वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की रैली में शामिल होने के लिए हैदराबाद भी गए। उसके बाद वह कभी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन तो कभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से मिले। इसके साथ ही उन्होंने कई बार
सपा मुखिया 2024 के चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं है। राजनीति के जानकार कहते है कि वह 2017 में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके देख चुके हैं। वह यह भी जानते है कि अगर कांग्रेस के साथ वह गठबंधन में गए तो उनका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हैं।
अखिलेश यादव तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर काफी गंभीर दिखाई दे रहे हैं। इसके लिए वह दक्षिण भारत से लेकर दिल्ली तक सभी गैर कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। अभी लोकसभा चुनाव में 1 साल का वक्त बचा है। तो अभी यह कहना की वह तीसरा मोर्चा बनाने में सफल या असफल होंगे यह जल्दबाजी होगा। हालांकि अखिलेश यादव को कई नेताओं का समर्थन भी मिल रहा है। लेकिन वह कितना सफल होगा वह आने वाला समय ही बता पाएगा।
सपा प्रमुख के तीसरे मोर्चे को बनाने की कवायद पर विपक्षी नेताओं ने तंज कसा हैं। BJP प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने पत्रिका यूपी से बात करते हुए कहा कि अखिलेश यादव पिछला तीन चुनाव गठबंधन के सहारे लड़ते आ रहे हैं। लेकिन एक बार भी जीत नहीं पाए। उसी तरह इस चुनाव में भी बचने के लिए वह राज्य के बाहर के नेताओं से मुलाकात कर रहे ताकि चुनाव हारने पर उन पर ठीकरा फोड़ सकें।
प्रदेश की राजनीति पर नजर बनाए वरिष्ठ पत्रकार अब्राहम मिरेज कहते है, “अखिलेश यादव तीसरे मोर्चे के सहारे अपने कार्यकर्तओं को बताना चाहते है कि कांग्रेस से बिना हाथ मिलाए भी BJP को रोका जा सकता हैं। अगर वह अपने प्लैन में सफल हो जाते है तो उनके लिए 2027 का चुनाव आसान हो जाएगा।” इसके साथ ही वह उन दलों को भी एक मैसेज देना चाहते है कि अगर सभी क्षेत्रिय दल एक हो जाए तो कांग्रेस और BJP को भी रोका जा सकता हैं।