राम नवमी से यहां विराजेंगे रामलला, 28 साल बाद भक्त कर पाएंगे परिक्रमा
विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि न्यास के माध्यम से 1989 में कार्यशाला प्रारम्भ हुई थी। कार्यशाला में उतर प्रदेश के मिर्जापुर, राजस्थान के भरतपुर और गुजरात के अहमदाबाद से सैकड़ों कारीगरों ने पत्थरों की तरासी की। 29 वर्ष में लगभग 65 प्रतिशत कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि अब मंदिर निर्माण के लिए कार्यशाला नवगठित ट्रस्ट की देखरेख में शुरू की जाएगी। आने वाले दिनों में पहले से चल रहीं चार कार्यशालाओं को फिर से खोला जा सकता है। शरद शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से पूर्व में राजस्थान में चार कार्यशालाएं ठेके पर दी गई थीं। मकराना की कार्यशाला में गेट के मॉडल को बनाया गया, जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कार्य किया। इसके साथ तीन और कार्यशाला थीं, जहां पर ठेके पर कार्य किया गया। आने वाले दिनों में कार्य शुरू हुआ तो उन कार्यशालाओं को फिर से खोला जा सकता है। जून 2019 से नहीं हो रहा था कार्यशाला में काम
विश्व हिंदू परिषद के शरद शर्मा ने बताया कि राम जन्मभूमि निर्माण कार्यशाला में जून 2019 से ही कार्य रोक दिया गया था, लेकिन सितंबर में मुख्य कारीगर के निधन के बाद सभी कारीगर छुट्टी पर चले गए। इसके बाद लगातार सुनवाई और फैसले की घड़ी नजदीक होने के कारण कार्यशाला में काम रोक दिया गया था।