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दो-दो पासपोर्ट बरामद हुए
एयरपोर्ट के एक अधिकारी ने बताया कि पासपोर्ट की इमीग्रेशन (Immigration of passports) जांच के दौरान बांग्लादेशियों के पास से दो-दो पासपोर्ट बरामद हुए। दोनों पर फोटो तो उनकी थी, मगर नाम और पता बदला हुआ था। ऐसे बांग्लादेशी तब फंसे जब जांच में पासपोर्ट दूसरे के नाम का सौंपा और पूछताछ में सही नाम बता बैठे। पासपोर्ट कार्यालय ने अमौसी (Amausi) से जब्त किए गए पासपोर्ट की जांच में पाया कि दस्तावेज के रूप में अटैच किया गया आधार प्रमाण पत्र असली है। बांग्लादेशियों ने आधार बनवाने के लिए जाली दस्तावेज का सहारा लिया। ऐसे में जांच के दायरे में पुलिस आ गई है।
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कबूल की बांग्लादेशी होने की बात
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने जाली दस्तावेज से बनवाए गए 14 पासपोर्ट का ब्योरा इंटेलीजेंस के डीजी एवं संबंधित एसपी (पुलिस अधीक्षक) को भेज कर गहन जांच करने को कहा है। सूत्र बताते हैं कि पासपोर्ट बनवाने की औपचारिकताएं लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर एवं वाराणसी पासपोर्ट सेवा केंद्र से पूरी कराई गई हैं। क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी के पत्र पर लखनऊ पुलिस ने छानबीन की। पुलिस ने जिन पासपोर्ट धारकों को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की तो उन्होंने बांग्लादेशी होने की बात कबूल की। अब पुलिस पासपोर्ट धारक के जरिये पासपोर्ट बनवाने वाले सिंडीकेट की तलाश में है।
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पासपोर्ट बनवाने में लगे इतने रुपये
सूत्रों के अनुसार पासपोर्ट सेवा केंद्रों (Passport service centers) के दलालों का सिंडीकेट 10 हजार रुपये में बांग्लादेशियों का पासपोर्ट बनवा रहा है। सिंडीकेट शिक्षित व अशिक्षित बांग्लादेशियों को पासपोर्ट बनाने की औपचारिकताएं पूरी कराने के लिए जन्म व शिक्षा से जुड़े दस्तावेजों को जाली तैयार कराता है। इन दस्तावेजों से बांग्लादेशियों के आधार प्रमाण पत्र बनवाए जाते हैं। इसके बाद सिंडीकेट आधार के जरिये पासपोर्ट के लिए आवेदन करता हैं। सूत्र यह भी बताते है कि सिंडीकेट की अंदरखाने सांठगांठ होने के कारण आधार के जरिये ही पासपोर्ट बनाने की संस्तुति कर दी जाती है। इसके बाद आवेदक से वसूली गई रकम की बंदरबांट होती है।