यूपी विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष की अग्नि परीक्षा लेने को तैयार हैं। 21 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। कांग्रेस पार्टी सभी 11 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है। इन कैंडिडेट्स के सामने बीजेपी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की मजबूत चुनौती है। हाल ही में हमीरपुर सदर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौथे नंबर पर रहा था। 11 में 8 सीटों पर बीजेपी, एक-एक सीट पर सपा-बसपा और अपना दल का कब्जा था। लल्लू के सामने कांग्रेस को मुकाबले में लाना बड़ी चुनौती है।
यूपी में नई कांग्रेस कमेटी का गठन, अजय कुमार लल्लू बने प्रदेश अध्यक्ष, प्रियंका के पास यह बड़ी जिम्मेदारी, देखें- पदाधिकारियों की पूरी लिस्ट
विपक्षी दलों से निपटना
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी, सपा और बसपा के बाद कांग्रेस का नंबर आता है। पार्टी को चौथे नंबर से ऊपर लाना नये प्रदेश अध्यक्ष लल्लू के सामने बडी़ चुनौती है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को छोड़ दें तो बीते दिनों यूपी में कांग्रेस पार्टी के अन्य नेताओं की रवैया काफी सुस्त रहा है। अजय कुमार लल्लू की सक्रियता को देखते हुए उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। देखना दिलचस्प होगा कि वह कितनी मजूबती से यूपी में कांग्रेस को आगे बढ़ाने के साथ ही पार्टी को लाइम लाइट में रख पाएंगे।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस लंबे अरसे से बेहतर प्रदर्शन को बेताब है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा से गठबंधन किया, लेकिन चुनाव परिणाम अपेक्षित नहीं रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम तो कांग्रेस के लिए किसी बुरे स्वपन से कम नहीं रहे। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर अपनी सीटें तक बचा पाए। नतीजन कांग्रेस सिर्फ एक सीट (रायबरेली) पर सिमट कर रह गई। अब अजय कुमार लल्लू के सामने फिर से कांग्रेस पार्टी का खोया जनाधार वापस दिलाना किसी चुनौती से कम नहीं है। गौरतलब है कि 1984 तक यूपी में कांग्रेस के मुकाबले किसी भी दल का कोई खास जनाधार नहीं था। 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यूपी की 85 सीटों में से अकेले 83 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन इसके बाद से यूपी में कांग्रेस का जनाधार लगातार गिरता गया।
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बूथ स्तर पर टीम तैयार करना
कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है। यहां जिस भी दल की स्थिति मजबूत होती हैं केंद्र की सरकार में उसका हस्तक्षेप भी उतना ही होता है। ऐसे में यूपी में कांग्रेस के प्रदर्शन पर सभी की नजर है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू क सामने सबसे बड़ी चुनौती कमजोर संगठन को मजबूत कर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की है। कई जिलों में कमेटी का गठन भी अभी तक नहीं हुआ है। बूथ स्तर पर कांग्रेस संगठन सुस्त हैं। लगातार हार से कांग्रेसियों का उत्साह ठंडा पड़ता दिख रहा है। दर्जनों बड़े नेताओं ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया है, जो बचे हैं उनमें से कई दूसरों दलों की ओर ताक रहे हैं। नवनियुक्त कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के सामने बूथ स्तर पर सभी को एकत्रित कर उनमें जोश भरकर और चुनावी मुकाबले के लिए तैयार कर पाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
अजय कुमार लल्लू के लिए पार्टी के वरिष्ठों और युवा टीम में सामंजस्य बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है। हालांकि, पार्टी में नई टीम और पुराने नेताओं के बीच बेहतर तालमेल के सवाल पर लल्लू कहते हैं कि हमारी पार्टी एक परिवार है, और परिवार में हम लोग सब एकजुट हैं। भले ही वह ऐसा कह रहे हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कई बड़े नेता हैं, जो शायद ही लल्लू के नेतृत्व में खुद को असहज महसूस करेंगे। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, श्रीप्रकाश जायसवाल, आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं। यूपी के पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने पत्र लिखकर उन्हें अंदर-बाहर की नई चुनौतियों से उन्हें आगाह किया है। कहा कि नये चेहरों को मौका और पुराने नेताओं के अनुभव को सम्मान जैसे फैसलों से कई साथियों को असहजता हुई। कई साथियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पद की कुछ शक्तियां होती हैं तो कुछ सीमाएं भी।
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पत्रिका पोल पर लोगों की राय
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने पर पत्रिका की टीम ने फेसबुक पोल के जरिये लोगों से रायशुमारी की। जिसमें पत्रिका उत्तर प्रदेश के लाखों सम्मानित पाठकों से सवाल किया गया कि क्या अजय कुमार लल्लू नई चुनौतियों का सामना कर पाने में सक्षम हैं? पत्रिका के सवाल पर लोगों की मिजी-जुली राय थी। 53 फीसदी यूजर्स का मानना है कि हां वह नई चुनौतियां संभालने में सक्षम हैं, वहीं 47 फीसदी लोगों ने उन्हें चुनौतियों का सामना करने में अक्षम माना।