जानिए वह 10 बड़ी बातें विपक्ष जिन पर मंथन कर रहा है
1. समाजवादी पार्टी को बसपा से गठबंधन के बाद भी कोई फायदा नहीं मिला है। 37 सीटों पर लडऩे के बाद भी एसपी सिर्फ 5 सांसद जिता पायी है। मुलायम परिवार की भी सीटें नहीं बचीं। डिंपल यादव,धर्मेद्र यादव भी चुनाव हार गए हैं।
2. सपा को सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि उसके कोर वोट बैंक यादव और अन्य पिछड़ा वर्ग भी उससे नाराज हो गए हैं। इसलिए पार्टी ओबीसी समाज को खुश करने के रणनीति पर अब ज्यादा फोकस करेगी।
3. ओबीसी को अपने साथ जोड़े रखने के लिए सपा मुलायम सिंह यादव को फिर बन सकते हैं सपा कापोस्टर ब्वॉय बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। आने वाले दिनों में वह फिर अहम भूमिका में दिखेंगे।
4. सपा ने अपने पार्टी प्रवक्ताओं को टीवी डिबेट्स में जाने से रोक दिया है। मुलायम सक्रिय हो गए हैं। पार्टी कार्यालय में लगातार पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं।
5. जिन 12 सीटों पर विधानसभा के लिए उपचुनाव होने हैं उसके लिए समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह के चेहरे पर चुनाव लडऩे की तैयारी में है। पोस्टर व स्लोगन मुलायम के चेहरे को आगे रखकर तैयार किए जाएंगे।
6. बसपा का वोट क्यों नहीं हुए ट्रांसफर इसके कारणों की समीक्षा हो रही है। इसके साथ ही सपा के प्रदेश अध्यक्ष और सपा के चारों फ्रंटल संगठन प्रभारी यानी समाजवादी युवजन सभा, समाजवादी छात्रसभा, समाजवादी लोहिया वाहिनी और मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के पदाधिकारियों को हटाने पर विचार चल रहा है।
7. उप्र में कांग्रेस की सबसे बड़ी हार हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी,प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर,पूर्व अध्यक्ष निर्मल खत्री और पार्टी के तमाम पदाधिकारी चुनाव हार गए हैं। पार्टी का मत प्रतिशत भी अब तक का सबसे खराब है।
8. हार की समीक्षा के तहत कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष को हटाने जा रही है।
कांग्रेस पार्टी में युवाओं को तरजीह मिलेगी। बूढ़े और पुराने कार्यकर्ता जो निष्क्रिय हैं उन्हें बाहर किया जाएगा। यानी पार्टी में ‘क्लीन अप’ अभियान चलेगा।
9. बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती आगामी 3 जून को पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलायी है। इसमें समीक्षा की जाएगी कि आखिर उप्र में सोशल इंजीनियरिंग क्यों फेल हुई। गठबंधन के बाद भी पार्टी 38 में से सिर्फ 10 सीटें ही क्यों जीत पायी।
10. बसपा जिन सीटों पर नंबर दो की स्थिति पर रही, वहां पार्टी पदाधिकारियों ने किस तरह से भितरघात किया। किसने साथ दिया और किसने नहीं। इसकी समीक्षा के बाद बड़े पैमाने पर पार्टी से नेताओं को बाहर किया जाएगा।