दिमागी बुखार से पीड़ित पूर्वांचल के नौ जिलों के जिला अस्पतालों में बनाए गए पीड्रियाटिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) में बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। दिमागी बुखार के लिए बनाई कई कार्ययोजना की निगरानी और सर्विलांस के लिए एक विशेष दस्ते का गठन भी किया गया है। प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चन्द्रमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री जी स्वयं दिमागी बुखार के निरोधात्मक उपायों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। बुधवार को मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग की कार्ययोजना देखी और दिमागी बुखार के खिलाफ जंग में सरकारी के साथ निजी डॉक्टरों को भी जोड़ने का निर्देश दिया।
पिछले वर्ष मार्च में सत्ता संभालने के बाद से मुख्यमंत्री जी ने जिस तरह से दिमागी बुखार पर नियंत्रण के प्रयास शुरू किए हैं उसके प्रारंभिक नतीजे सामने भी आने लगे हैं। दिमागी बुखार पीड़ितों को उनके घर के समीप मौजूद इंसेफ्लाटिस ट्रीटमेंट सेंटर में ही इलाज मुहैया हो जाने से गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज पर मरीजों की निर्भरता में कमी आई है।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि समय पर इलाज मिल जाने पर गोरखपुर और बस्ती मंडल के जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) पीड़ित सात जिलों के अस्पतालों में केस फेटलिटी रेट (सीएफआर) में भी काफी गिरावट हुई है।
डॉ चन्द्रमोहन ने कहा कि वर्ष 2016 में जहां एईएस के लिए सीएफआर 16.39 व जेई के लिए 16.74 था वहीं वर्ष 2017 में एईएस के लिए सीएफआर 14 प्रतिशत से कम और जेई के लिए 10 प्रतिशत से कम है। ये आंकड़े संकेत करते हैं कि दिमागी बुखार के खिलाफ सरकार की जंग सही दिशा में जा रही है।