मायावती के जन्मदिन समारोह के आयोजन को नहीं मिली मंजूरी बसपा कार्यकर्ताओं कहना है कि जिला स्तर पर वह अंबेडकर और कांशीराम के मूल विचारों का प्रचार प्रसार करेंगे और यही उनकी तरफ से बसपा सुप्रीमो के जन्मदिन पर तोहफा होगा।
मायावती बोलीं योगी जनता की समस्याओं को भूलकर गोरखपुर महोत्सव में मस्त 4 बार बन चुकी हैं यूपी की मुख्यमंत्री
देश का राजनीतिक गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश को मायावती बखूबी समझती हैं।
यही कारण है कि वे चार बार सूबे की मुख्यमंत्री रही हैं। उन्होंने राजनीति को बखूबी समझा और दलित मुद्दे को उठाते हुए अपनी आवाज बुलंद की। समय के साथ उनकी पैठ दलितों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय में भी बढ़ी जो कि वोट बैंक में भी तब्दील हुई।
देश का राजनीतिक गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश को मायावती बखूबी समझती हैं।
यही कारण है कि वे चार बार सूबे की मुख्यमंत्री रही हैं। उन्होंने राजनीति को बखूबी समझा और दलित मुद्दे को उठाते हुए अपनी आवाज बुलंद की। समय के साथ उनकी पैठ दलितों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय में भी बढ़ी जो कि वोट बैंक में भी तब्दील हुई।
1995 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा की गठबंधन की सरकार बनी। वे उस दौरान पहली बार मुख्यमंत्री बनी। वे उत्तर प्रदेश में दलित मुख्यमंत्री बनने वाली पहली महिला भी हैं। मायावती 13 जून, 1995 से 18 अक्टूबर, 1995 तक मुख्यमंत्री रहीं। उनका पार्टी में बढ़ता रुतबा और लोगों की पसंद देख कांशीराम उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के लिए मजबूर हो गए। कांशीराम ने मायावती को वर्ष 2001 में पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। मायावती ने दूसरी बार 21 मार्च 1997 से 20 सितंबर 1997, 3 मई 2002 से 26 अगस्त 2003 और चौथी बार 13 मई 2007 से 6 मार्च 2012 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री की कमान संभाली।