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लखनऊ

मायावती, अखिलेश पर एक और नई मुसीबत, इस रिपोर्ट ने खोल दी प्रदेश को हजारों करोड़ों के नुकसान की कहानी

कैग की रिपोर्ट : मायावती की नीतियों से उप्र को 24 हजार करोड़ का नुकसान

लखनऊJul 20, 2019 / 02:52 pm

Ruchi Sharma

mayawati

मायावती, अखिलेश पर एक और नई मुसीबत, इस रिपोर्ट ने खोल दी प्रदेश को हजारों करोड़ों के नुकसान की कहानी

लखनऊ. भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट (CAG Report) शुक्रवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश की गई। इस रिपोर्ट में पूर्व की मायावती व अखिलेश यादव की सराकर को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बसपा, सपा की सरकारों की शराब नीति के कारण दस साल में प्रदेश को लगभग 24805 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में प्रदेश की आबकारी नीति 2008-9 से 2017-18 के दौरान हुई अनियमिततओं व क्षति के बारे में बताया गया है।
प्रदेश के खाजने को हजारों करोड़ का लगा चूना

रिपोर्ट के मुताबिक, मायावती के शासनकाल में शुरू हुआ शराब घोटाला सपा सरकार में भी चलता रहा। शराब कंपनियों, शराब बनाने वाली डिस्टलरियों, बीयर बनाने वाली ब्रेवरी और सरकार की मिलीभगत से प्रदेश के खजाने को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगा। वर्ष 2008 से 2018 के बीच एक्स डिस्टलरी प्राइस व एक्स ब्रेवरी प्राइस का निर्धारण शराब बनाने वाली डिस्टलरियों और बीयर बनाने वाली ब्रेवरियों के विवेक पर छोड़ दिया गया। इससे ही 7,168 करोड़ रुपये का सरकारी खजाने को चूना लगा। इसके अलावा देशी शराब में न्यूनतम गारंटी कोटा बढ़ा देते तो तीन हजार करोड़ के राजस्व नुकसान से बचा जा सकता था। सीएजी रिपोर्ट में इसकी सतर्कता से जांच कराने की संस्तुति की गई है। कहा गया है कि दोषियों की जिम्मेदारी तय की जाए।
योगी सरकार की नई आबकारी नीति के कारण आबकारी से होने वाली आय में 48 प्रतिशत की वृद्धि का भी ब्यौरा दिया गया है। नई आबकारी नीति के चलते राज्य में 18705 करोड़ रुपए का राजस्व बढ़ा है।
बनाए गए थे विशिष्ट जोन

सीएजी ने माना है कि इसमें सरकारी अधिकारियों का भ्रष्टाचार मुख्य वजह रही। रिपोर्ट में मायावती के शासनकाल में 2009 में शराब बिक्री के लिए बनाए गए विशिष्ट जोन को भी गलत करार दिया गया है। यह विशिष्ट जोन उस वक्त मायावती के करीबी माने जाने वाली शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा के समूह को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया।

अखिलेश सरकार ने अपात्र किसानों का भी ऋण कर दिया था माफ

इसके साथ ही रिपोर्ट बताती है कि छोटे व सीमांत किसानों के कर्ज माफ करने के लिए अखिलेश सरकार की ओर से चलायी गई योजना के तहत 79.67 करोड़ रुपये का लाभ 16,184 अपात्र लाभार्थियों को भी मिला। योजना की कट ऑफ डेट बदलने के कारण सरकार को 138 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ा। कर्जमाफी योजना घाटे में चल रहे उप्र सहकारी ग्रामीण विकास बैंक (यूपीएसजीवीबी) की आर्थिक सेहत सुधारने में अहम भूमिका निभायी। योजना के क्रियान्वयन की अवधि के दौरान बैंक के अध्यक्ष तत्कालीन सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव थे। अखिलेश सरकार ने 50 हजार रुपये तक का कर्ज लेने वाले ऐसे छोटे व सीमांत किसानों के लिए वर्ष 2012 में ऋण माफी योजना लागू की थी, जिन्होंने मूलधन का कम से कम 10 प्रतिशत चुका दिया हो। योजना पर 2012-16 के दौरान 1784 करोड़ रुपये खर्च हुए और 7.58 लाख छोटे व सीमांत किसान लाभान्वित हुए।

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