NRHM Scam में आरोपी थे डिप्टी सीएमओ डॉ सचान, जेल में अत्महत्या
साल 2007 से 2012 के बीच केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा चलाए गए हेल्थ मिशन में अरबों रु का फंड उत्तर प्रदेश को मिला था। जिसमें तत्कालीन मायावती सरकार में जमकर लूटा गया था। इसमें नेशनल हेल्थ मिशन के तहत हॉस्पिटल का निर्माण, गरीबों लिए मुफ्त देने वाली दवाइयों की खरीद, हर ब्लॉक पर एंबुलेंस की व्यवस्था समेत कई प्रकार से हजारों करोड़ रु का घोटाला किया गया था। इसी मामले में कई सीएमओ और डिप्टी सीएमओ समेत दर्जनों अधिकारियों पर जांच शुरू हुई थी। इसी में डिप्टी सीएमओ डॉ वाईएस सचान को भी आरोपी बनाया गया था, लेकिन लखनऊ जिला जेल में बंद होने के दौरान ही एक रस्सी से लटकती हुई उनकी लाश पाई गई थी, जिसमें कहा गया था कि उन्होने आत्महत्या कर ली है।
पत्नी ने दी सीबीआई कोर्ट के आदेश को चुनौती
22 जून 2011 को डिप्टी सीएमओ वाईएस सचान की लखनऊ जेल में मौत हुई थी। उनकी मौत के मामले में 26 जून 2011 को लखनऊ के गोसाईगंज थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। 11 जुलाई 2011 को न्यायिक जांच में मौत को हत्या बताया गया था, इसी के बाद 14 जुलाई को हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश जारी करते हुए जल्द से जल्द सुनवाई करते हुए फैसला करने को कहा गया था। इसके लगभग 10 महीने बाद ही 27 सितंबर 2012 को सीबीआई ने मौत को आत्महत्या बताया था। लेकिन डॉ. सचान की पत्नी ने सीबीआई की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए फिर से जांच और फैसले की मांग की थी। जिसके बाद 12 जुलाई 2022 को यानी 10 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने अपने ही फैसले को पलटते हुए इस गहरी साजिश के तहत हत्या मानकर फैसला सुना दिया है।
विशेष अदालत की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने घटना के वक्त जेल में तैनात जेलर बीएस मुकुंद, डिप्टी जेलर सुनील कुमार सिंह, बंदी रक्षक बाबू राम दुबे और महेंद्र सिंह को कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा है। इन्हें आरोपी बनाया गया है। इन्हें 8 अगस्त को मौजूद रहकर अपना बयान दर्ज करना होगा। साथ ही सीबीआई की विशेष अदालत इनसे इस मामले पर पूछताछ भी करेगी।