ज्योतिषीय (Astrology) दृष्टि से देखें तो ये बारिश हथिया नक्षत्र में हो रही है। दरअसल 27 सितंबर से हथिया नक्षत्र (Hathiya Nakshatra) लग चुका है। आपको बता दें कि इस नक्षत्र में होने वाली बारिश का बेहद खास महत्व होता है। कहा जाता है कि इस बारिश के बाद से मौसम में अचानक परिवर्तन शुरू होने लगता है और हल्के जाड़े की शुरुआत हो जाती है, इसी के साथ ही गरमी की विदाई भी हो जाती है। पूर्वांचल के किसानों और ग्रामीण इलाकों में एक बहुत पुरानी कहावत है कि हथिया के पेट से जाड़ा निकलता है।
भारत में जहाँ मौसम विभाग बदलते मौसम की भविष्यवाणी तो करता ही है, वहीं भारतीय वैदिक ज्योतिष की गणना में भी नक्षत्रों के हिसाब से मौसम का अनुमान लगाया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये अनुमान भी काफी सटीक होते हैं। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक 27 नक्षत्र में से करीब नौ नक्षत्रों को बारिश का नक्षत्र माना जाता है। ये नौ नक्षत्र हैं आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा। इसमें हस्त यानि हथिया नक्षत्र की बारिश को गरमी का अंत और जाड़े की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
इस बारिश का किसानों (Farmers) और खेती (Agriculture) को बेहद इंतज़ार भी रहता है खासतौर पर उन इलाके के किसानों को जहाँ नहरों से या फिर नलकूप के ज़रिये सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाती है। वजह ये है कि खेती के लिहाज़ से धान की पैदावार के लिए इस नक्षत्र में होने वाली बारिश को बेहद अच्छा माना जाता है।