श्री राम जन्मोत्सव में शामिल होने के लिए भक्तों की भारी भीड़, अयोध्या में नही हो सका प्रवेश
तिथि : चैत्र शुक्ल नवमी को ‘श्रीरामनवमी’ कहते हैं। श्रीराम के जन्म के उपलक्ष्य में श्रीरामनवमी मनाई जाती है। इतिहास : इस दिन जब पुष्य नक्षत्रपर, माध्यान्हके समय, कर्क लग्न में सूर्यादि पांच ग्रह थे, तब अयोध्या में प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ।
किसी भी देवता एवं अवतारों की जयंतीपर उनका तत्त्व पृथ्वीपर अधिक मात्रामें कार्यरत होता है। श्रीरामनवमीको श्रीरामतत्त्व अन्य दिनोंकी अपेक्षा 1000 गुना कार्यरत होता है। श्रीराम नवमीपर ‘श्रीराम जय राम जय जय राम।’ नामजप एवं श्रीरामकी भावपूर्ण उपासनासे श्रीरामतत्व का अधिकाधिक लाभ होता है।
श्रीरामके कुछ प्रचलित नामजप हैं। उनमें से ‘श्रीराम जय राम जय जय राम।’ यह त्रयोदशाक्षरी जप सबसे अधिक प्रचलित है। श्रीराम जय राम जयजय राम। इसमें ‘श्रीराम’ यह श्रीरामका आवाहन है। ‘जय राम’ यह स्तुतिवाचक है। ‘जय जय राम’ यह ‘नमः’ समान शरणागतिका दर्शक है। रामायण में ‘राम से बड़ा राम का नाम’ की कथा भी हम सबने सुनी है। सभी जानते हैं कि ‘श्रीराम’ शब्द लिखे पत्थर भी समुद्र पर तैर गए। उसीप्रकार श्रीराम का नामजप करने से हमारा जीवन भी इस भवसागर से निश्चित मुक्त होगा।