याची के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा का कहना था कि निलंबन आदेश याची को परेशान करने के लिए जारी किया गया, जबकि उसने कोई कदाचार नहीं किया। आरोपों के लिहाज से उसे बड़ा दंड देकर निलंबित नहीं किया जाना चाहिए था। कोर्ट ने यह आदेश देकर याची के खिलाफ जांच की कार्रवाई को चार माह में पूरी करने का निर्देश अनुशासनात्मक प्राधिकारी को दिया है, इसमें याची भी सहयोग करेगा।