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लखनऊ

“ताकि अस्थि विसर्जन में किसी और को न हो मेरे जैसा दुख…, ट्रैवल पास के बावजूद नहीं दिया जाने”

गंगा में अस्थि विसर्जन के लिए मुकेश अपने भांजे व जीजी के साथ यूपी के कासगंज के सोरों नगर के लिए निकले थे।

लखनऊMay 24, 2020 / 08:22 pm

Abhishek Gupta

Travel Pass

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लखनऊ. लॉकडाउन के दौरान तमाम ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें लोग अपनों की मृत्यु पर उनका अंतिम संस्कार भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। इसे देखते हुए लॉकडाउन 4.0 में सरकार ने अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में 20 लोगों के शामिल होने की इजाजत दी है, साथ ही स्पेशल ट्रैवल पास के जरिए अन्य राज्यों में जाने की इजाजत भी दे रखी है। लेकिन एक परिवार को बावजूद इसके भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रशासनों में वार्तालाप की कमी के कारण उन्हें वो झेलना पड़ा, जिसकी उन्हें कल्पना भी नहीं थी। जयपुर निवासी मुकेश शर्मा के जीजा भोलेनाथ जी गुप्ता का शुक्रवार को हार्ट अटैक का कारण देहांत हो गया। गंगा में अस्थि विसर्जन के लिए मुकेश अपने भांजे व जीजी के साथ यूपी के कासगंज के सोरों नगर के लिए निकले थे। सरकार के आदेशानुसार जयपुर कलेक्ट्रेट से ट्रैवल पास भी बना लिया था, जिससे की यात्रा में परेशानी न आए, लेकिन सोरोजी से 20 किलोमीटर पहले कासगंज में चेक पोस्ट पर उन्हें रोक लिया गया व आगे जाने की अनुमति नहीं दी। मुकेश का कहना है कि शनिवार रात्रि 1:30 बजे से सुबह से 7:00 बजे तक वह वहां पर ही रहे। पुलिस वालों से वह निवेदन करते रहे व ट्रैवल पास दिखाकर बोलते रहे कि हम परमिशन लेकर आए हैं, लेकिन तैनात पुलिस कर्मियों ने उनकी एक न सुनी।
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कासगंज से मथुरा का करना पड़ा रुख-

यही नहीं मुकेश के अनुसार पुलिस वालों ने बेहद गंदी भाषा का इस्तेमाल भी किया और आगे जाने नहीं दिया। मुकेश ने बताया कि मेरे जैसे वहां राजस्थान से लगभग 15 से 16 लोग अपनी गाड़ियों से गए हुए थे, उन्हें भी नहीं जाने दिया। लेकिन यूपी की गाड़ियों को वहां से जाने दिया जा रहा था। मुकेश ने बताया कि अब अस्थियों को वापस तो नहीं ले जा सकते थे, इसलिए आखिरकार थक हार कर उन्होंने कासगंज से मथुरा का रुख किया, जहां यमुना नदी में उन्होंने विसर्जन किया।
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ताकि किसी और के साथ न हो-

उनका कहना है परमिशन पास मिलने के बावजूद गन्तव्य से कुछ दूर पहले रोका जाना काफी दुख देता है। यदि सोरों जाने की परमिशन नहीं थी, तो यूपी को इसकी सूचना राजस्थान को देनी चाहिए थी। ताकि लोग परेशान ना हों और इसके लिए पास जारी ना हों। जो लोग अस्थियां लेकर जाते हैं, उनकी भावना को ठेस पहुंचती। दोनों राज्य की सरकारें इसका संज्ञान ले, जिससे जो मेरे साथ हुआ वह किसी और के साथ न हो।

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