यूपी क्राइम में पहले नहीं 26वें स्थान पर
डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि जिन प्रदेशों की जनसंख्या अधिक है, वहां अपराध भी अधिक होते हैं। उन्होंने बताया कि अपराध की स्थिति को समझने के लिए क्राइम रेट एक अच्छा और विश्वसीन संकेतक है। उन्होंने बताया कि प्रति लाख जनसंख्या के सापेक्ष अपराध दर निकाली जाती है। ऐसे में प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर क्राइम रेट के मामले में उत्तर प्रदेश का स्थान पहला नहीं बल्कि 26 वां हैं। दरअसल यूपी पुलिस के डाटा के मुताबिक यूपी में 2016 में आईपीसी के अंतर्गत 2,82,171 मामले दर्ज हुए, लेकिन इनका प्रति लाख क्राइम रेट 128.7 बनता है।
वहीं केरल का क्राइम रेट 727.6, मध्यप्रदेश का 337.9, हरियाणा का 320.6 है। ऐसे ही देश के 25 राज्य क्राइम रेट के मामले में यूपी से पहले हैं।
यूपी में क्राइम के आकड़े
यूपी पुलिस के आकड़ों के मुताबिक 2016 में प्रदेश में 4,889 मर्डर, डकैती 284, रेप 4,816 और महिलाओं से जुड़े सभी अपराधों के कुल 49,262 मामले दर्ज हुए थे। लेकिन यूपी पुलिस का दावा है कि क्राइम रेट के आधार पर यूपी कई राज्यों से अब भी बेहतर स्थिति में हैं।
कम पुलिस बल, फिर भी हो रहा काम
डीजीपी ने बताया कि ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) के अनुसार भारत में प्रति लाख जनसंख्या पर स्वीकृत नियतन 156 के सापेक्ष 121 पुलिसकर्मी उपलब्ध हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में यहीं 171 के सापेक्ष मात्र 78 पुलिसकर्मी ही उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस फोर्स की भारी कमी के बावजूद भी अपराध नियंत्रण में काफी काम हो रहा है।
क्राइम रेट में लखनऊ शीर्ष पर
यूपी पुलिस के मुताबिक देश के 19 महानगर जहां की जनसंख्या 20 लाख से अधिक है, उसमें यूपी के 3 जिले लखनऊ, गाजियाबाद और कानपुर शामिल है। इन शहरों के क्राइम रेट के हिसाब से यूपी में लखनऊ 550.2 के साथ शीर्ष पर है। वहीं अन्य राज्यों की बात की जाए तो देश की राजधानी दिल्ली 1222.5 क्राइम रेट के साथ अपराध के मामले में सबसे टॉप पर है।
गाजियाबाद में थी अधूरी तैयारी
डीजीपी सुलखान सिंह ने गाजियाबाद में एनआईए और पुलिस टीम पर हमले के सवाल पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पूरी तैयारी और कम फोर्स के साथ मौके पर जाना बड़ी भूल थी। वहीं लखनऊ में हुए मुन्नाबजरंगी के करीबी तारिक की हत्या के मामले पर कहा कि वह एक टारगेटेड मर्डर था, जिसकी जांच चल रही है।