न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ के समक्ष राज्य सरकार ने कहा कि जांच, शिकायतकर्ता के बयानों और दूसरे गवाहों की गवाही के आधार पर प्रजापति के खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है। उन्होंने कहा प्रजापति गवाहों को प्रभावित अौर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। वहीं प्रजापति की अोर वकील ने कहा कि वह दो हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करेंगे।
इस मामला में प्रजापति ने अपनी जमानत याचिका में कहा कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं अौर इस मामले में चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है। लिहाजा उसे जमानत मिलनी चाहिए।
जानकारी हो कि प्रजापति प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री थे। अौर अखिलेश यादव के काफी करीबी नेता माने जाते हैं। लेकिन 2016 में मुलायम सिंह परिवार में झगड़े के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया थ।
जानिए क्या था मामला जानकारी हो कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद 17 फरवरी 2017 को चित्रकुट की रहने वाली महिला की शिकायत पर लखनऊ के गौताम्पल्ली थाने में उसके साथ गैंगरेप व नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप के प्रयास का केस दर्ज किया गया था। केस दर्ज होने के बाद कई दिनों तक मशक्कत कर पुलिस गायत्री प्रजापति और उसके अन्य छह साथियों को गिरफ्तार कर सकी।