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उसने अपने दुश्मनों के सफाए में जहां पांच गोलियां सीने में उतारना शुरु किया तो उसे अंधविश्वास हो चला था कि नीली गाडिय़ों में वह क्राइम को कामयाबी से अंजाम देता है। इसलिए ज्यादातर वारदात में वह नीली गाडिय़ों का इस्तेमाल करता। इसके अलावा उसने अपने गैंग में राहुल नाम के लडक़ों को भर्ती करने से लेकर उनको खास प्राथमिकता देना भी शुुरु किया। मुज्ज्फरनगर दंगों के बाद गैंग का बंटवारा भी मजहब के आधार पर
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तीन राज्यों की पुलिस को चुनौती देने वाले राहुल खट्टा पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरु किया तो उसने भी पुलिस पर हमले शुरु कर दिए। उसने बागपत की बजाए मुज्जफरनगर के सरधना के पास अपना ठीकाना बनाया लेकिन बाद में वह सहारनपुर में डेरा जमा लिया। पुलिस ने कई बार दबिश दिया लेकिन वह पुलिस के हाथ से निकल जाता। वजह थी कि उसने पुलिस वालों को ही अपना मुखबिर बना लिया था।एक वक्त जो काम वह पुलिस वालों के लिए करता था वही काम अब पुलिस वाले उसके लिए करने लगे थे और दबिश के चंद मिनटों पहले वह जगह छोड़ देता। पुलिस हाथ मलती रह जाती।
राहुल खट्टा को पकड़ पाने में हर बार नाकाम पुलिस ने अब अलग तरीके से अपनी योजनाएं बनानी शुरु की और तय किया कि जिन मुखबिरों से उसको सूचनाएं मिलती है उन्हीं का इस्तेमाल किया जाए। पुलिस ने एक मीटिंग बुलाई जिसमें सभी पुलिस वाले मौजूद थे और वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि फंला जगह बैंक मेंं काफी पैसे जमा होते हैं और ठेकदार, व्यापारी लाखों रुपए जमा करते हैं। उस बैंक की निगरानी करनी होगी, कहीं वहां पर राहुल खट्टा कोई वारदात न कर दे। इसके बाद पुलिस वालों ने जाल बिछाया और नकली बैंक खोलकर सादी वर्दी में बैठने लगे। बाकायदा कम्प्यूटर आदि लग गए बैंक और सीए का बोर्ड लगा लेकिन महीने दो महीने बाद यह योजना फ्लॉप साबित हुई।
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कुछ दिनों बाद पुलिस को पता चला कि राहुल खट्टा एक शादी में आने वाला है। इस जानकारी के कुछ दिनों पहले ही उसने एक पुलिस वाले की हत्या कर दी थी। इस हत्या में उसने आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था और पुलिस को यह जानकारी मिल गई थी कि उसके पास आधुनिक हथियार हैं। बारात में राहुल आया भी, पुलिस भी आई। लेकिन दोनों तरफ से फायरिंग नहीं हुई और पुलिस हाथ मलती वापस चली गई। कारण था कि अगर बारात में फायरिंग होती तो कई निर्दोष लोग मारे जाते। आखिरकार पुलिस को कामयाबी तब मिली जब खट्टा गैंग के एक आदमी को अपना मुखबिर बना लिया। अब वह राहुल गैंग के एक-एक हरकत की जानकारी पुलिस को देना शुरु कर दिया था।
इसी बीच राहुल खट्टा ने सहारनपुर के एक व्यापारी से एक करोड़ की रंगदारी मांगी। पांच जून 2015 को वह व्यापारी से मिलने और उसे धमकी देने पहुंचा इधर मुखबिर ने उसकी लोकेशन पुलिस को दे दी। इसके बाद पुलिस की गाडिय़ा उसका पीछा करने लगी। थोड़ी ही देर में राहुल को अंदाजा हो गया कि उसके पीछे पुलिस लग चुकी है जिसके बाद वह बेतहासा सौ से अधिक की स्पीड में गाडिय़ों को भगना शुरु किया। पुलिस की गाडिय़ा भी उसी स्पीड से उसका पीछा करने लगी। तेज सायरन बजाती हवा से बात करती गाडिय़ां और जिले भर के वायरलेस सेट पर एक ही नाम राहुल खट्टा को घेरो। पुलिस ने चारों तरफ से घेरेबंदी शुरु कर दी। अब राहुल ने भी अपनी गाडिय़ों का रुख मुख्य सडक़ से हटाकर गांव के कच्चे रास्तों पर कर लिया। लेकिन सामने से भी पुलिस की घेरेबंदी देखकर वह गाड़ी से उतरकर खेतों की तरफ भागता है और फायरिंग शुरु हो जाती है। पुलिस और राहुल खट्टा गैंग की तरफ से करीब बीस मिनट तक गोलियां चलती हैं और अचानक गोलियों की आवाज राहुल खट्टा की तरफ से आनी बंद हो जाती हैं। लगभग पंद्रह से बीस मिनट के इंतजार के बाद पुलिस सावधानी से आगे खेत की तरफ बढ़ती है जहां राहुल खट्टा खून से लहूलूहान मौत की नींद सो चुका था।