लखनऊ

संक्रमित होकर भी करतीं रहीं सेवा, मरीजों के लिए अपनी जान की कुछ इस तरह लगा दी बाजी

International Nurse Day 2022 Theme: नर्स दिवस के खास मौके पर इन नर्सों की कहानी पढ़ कर आप भी हो जाएंगे भावुक। इस बार इंटरनेशनल नर्सेस डे 2022 की थीम है। ‘नर्सेस : ए वॉयस टू लीड- इन्वेस्ट इन नर्सिंग एंड रिस्पेक्ट राइट्स टू सिक्योर ग्लोबल हेल्थ’।

लखनऊMay 12, 2022 / 02:27 pm

Snigdha Singh

International Nurse Day 2022 theme Nurse lost their life During Duties

कठिन राह है कठिन क्षेत्र है, फिर भी तुम डटी हो, कौन-सी ऐसी बाधा है, जिससे तुम पीछे हटी हो। ये पंक्तियां हमारी देश की नर्सों के लिए एकदम फिट बैठती है। कोरोना काल में जब हर कोई डरा रहा तो नर्सें अपनी जान की बाजी दांव पर लगाकर मरीजों की सेवा करती रहीं। मेडिकल कॉलेजों में कोविड की तीनों लहरों में हैवी वायरल लोड के बीच नर्सें मरीजों की देखभाल उसी तरह करतीं रहीं जैसे डॉक्टर करते रहे। अब तो कई नर्सों को कोरोना मरीजों की तीमारदारी का विशेषज्ञ मान लिया गया है क्योंकि वह खुद भी मरीजों की सेवा करते-करते संक्रमित हो गईं थीं लेकिन क्वारंटीन होने के बाद भी परिवार से ज्यादा मरीजों को बचाने का जज्बा उनमें मौजूद रहा।
परिवार से दो महीने तक दूर, पर नहीं मानी हारीं

एक उदाहरण है कानपुर मेडिकल कॉलेज हैलट की नर्स अनुपमा लता। पहली और दूसरी कोरोना की लहर में जब लोग दहशत में रहे और कोरोना मरीज के पास जाने तक में कांपते रहे तब अनुपमालता हैवी वायरल लोड के बीच कोविड मरीजों की सेवा में लगी हैं। पांच बार कोविड में ड्यूटी करने के बाद जब खुद संक्रमित हो गईं तो दहशतजदा हो गईं। दो महीने तक परिवार से अलग रहीं लेकिन कोविड की ड्यूटी करने से पीछे नहीं हटीं। ओमीक्रोन की तीसरी लहर में भी उन्हें ड्यूटी करनी पड़ी। अनुपमालता कहती हैं कि कोविड में सुबह से रात तीमारदारी, दवाओं और ऑक्सीजन का प्रबंधन करना बेहद मुश्किल कार्य रहा। संक्रमित हुईं तो डर लगा पर मरीजों के दर्द के आगे अपना दर्द भूल गए। 10 घंटे तक पीपीई किट पहनकर काम करना दुरूह कार्य रहा क्योंकि पीपीई किट में ड्यूटी करने में कई बार उलझन भी होने लगती रही पर कोविड वार्ड से अपने समय 57 कोरोना मरीजों के ठीक होकर डिस्चार्ज हुए है।
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मरीजों से दुआओं से मौत के मुंह से वापस लौटी श्वेता

अब तो लोग कोरोना काल को भूल गए हैं लेकिन स्टाफ नर्स श्वेता शर्मा को वह दिन अभी भी याद हैं। कोरोना वायरस ने डर के साथ कई लोगों को नए जज्बे के साथ लड़ने की भी सीख दी है। स्टाफ नर्स श्वेता की माने तो कोविड मरीजों की तीमारदारी का हौसला हर समय रहा लेकिन जब मरीजों की सेवा करते-करते संक्रमित हुए और आक्सीजन लेवल गिरने लगा तो डर गए थे पर ठीक होकर डिस्चार्ज हुए उस दौर के मरीजों की दुआएं ही रहीं कि कोविड की जटिलताओं के बाद भी वह 14 दिन के बाद ठीक हो गईं। मरीजों के चेहरों की खुशी ने उन्हें कोविड से लड़ने का हौसला दिया वरना डर तो हर कोई रहा था।
इंटरनेशनल नर्सेस डे 2022 की थीम

इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस (International Council of Nurses) की ओर से इस बार इंटरनेशनल नर्सेस डे 2022 की थीम है। ‘नर्सेस : ए वॉयस टू लीड- इन्वेस्ट इन नर्सिंग एंड रिस्पेक्ट राइट्स टू सिक्योर ग्लोबल हेल्थ’। यानी ‘नर्सेस: नेतृत्व के लिए एक आवाज – नर्सिंग में निवेश करें और ग्लोबल हेल्थ को सुरक्षित रखने के अधिकारों का सम्मान करें।
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