मिनी मुख्यमंत्री के नाम से मशहूर पारस नाथ जौनपुर जनपद के डीएम रहने के दौरान इन्होंने जो किया उसकी चर्चा भी खूब होती है। साल 2013-14, प्रदेश में सपा की सरकार थी। सूबे के मुखिया अखिलेश यादव थे। पूर्वांचल के कद्दावर नेता पारस नाथ यादव इस सरकार में भी कैबिनेट मंत्री थे। पूरे पूर्वी यूपी में पारस नाथ मिनी मुख्यमंत्री के नाम से मशहूर थे। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था। मुलायम के मुख्यममंत्रित्व काल में भी लोग उन्हें इसी नाम से ही जानते थे। पर इस बार उनका दबदबा कुछ और भी था।
इधर जिले की कमान तेज तर्रार आईएएस अधिकारी सुहास एल वे के हाथ में थी। शहर का कायाकल्प किया जा रहा था। जिले में ऐसा पहला अधकारी था जो एक तरफ से शहर के अतिक्रमणकारियों पर कहर बनकर टूट रहा था। सड़कों का चौड़ीकरण, चौराहे के सुन्दरी करण समेत चारों ओर विकास के शानदार काम किये जा रहे थे।
जब इन कामों की वजह से लोगों से जमीने खाली कराई जाने लगीं। सड़कों के किनारे के सैकड़ों भवन जमींदोज किये जाने लगे। तब जिले के सभी पॉवरफुल समझने वाले लोग मंत्री जी के दरबार में जा पहंचे। अपने स्वभाव और स्टेटस में मुताबिक ही मिनी मुख्यमंत्री के नाम से सत्ता पर काबिज पारस नाथ यादव ने सुहास एल वाई को अपने मुताबिक चलाने की कोशिश की।
मुझे मेरी हद पता है कहा जाता है की पारस नाथ यादव उन्हें सत्ता के हनक के आगे कई बार बेबस करना चाहे। पर इस अधिकारी ने किसी भी काम में राजनीतिक ताकत के आगे घुटने नहीं टेके। जिले में कोई कितना बड़ा हो पर जो गलत रहा उसे कभी नहीं बक्शा। कई बार दबाव के बाद सुहास एलवाई ने खुलेआम मीडिया से इशारों में कह दिया था की वो विकास और सच्चाई को ही अपनी ताकत मानते हैं, किसी के दबाव में आने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा मैं डीएम हूँ मुझे मेरी हद पता है। लेकिन और लोग भी अपनी हद में ही रहें।
उसके बाद पारस नाथ यादव सत्ता में जरूर रहे पर कभी भी सपा के नेताओं ने इस जिलाधिकारी से पंगा लेने की कोशिश नहीं किया। डीएम ने अपने मुताबिक शहर को चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज भी यहां के लोग सुहास के फैन हैं। आखिकार सुहास के विकास की बात सपा संस्थापक और आजमगढ़ से सपा सांसद मुलायम सिंह तक जा पहुँची। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र को रोशन करने के लिये सुहास का तबादला डीएम आज़मगढ़ के रूप में करा लिया।