आज से 16 साल पहले 22 अगस्त 2002 को बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा नेता लालजी टंडन को अपना भाई बनाया और उन्हें चांदी की राखी बांधी थी। भाई बहन के इस नए रिश्ते में बंधने के बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि बसपा और भाजपा के रिश्ते भी मजबूत और मधुर हो जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
लालजी करते रहे बहन का इंतजार- बेशक मायावती ने लालजी टंडन की सूनी कलाई पर चांदी की राखी बांध कर उन्हें अपना भाई बनाने की रस्म अदा की हो, लेकिन ये भाई-बहन के अटूट रिश्त में तब्दील नहीं हुआ। या यू कहें कि इस रिश्ते को आगे भुनाया नहीं जा सका। कहा जाता है कि अगले ही वर्ष 2003 में लालजी टंडन रक्षाबंधन पर अपनी बहन मायावती का इंतेजार करते रहे, लेकिन बहन जी मायावती उन्हें राखी बांधने नहीं आई। माना गया कि बहन का दिल एक ही साल के अंतराल में अपने बुजुर्ग भाई से ऊब गया और उसने भाई से किनारा कर लिया।
शायद इसलिए बना था ये रिश्ता- राजनैतिक जानकारों का मानना हैं कि उस दौरान यह रिश्ता केवस इसलिए बना था ताकि मायावती के खिलाफ भाजपा कोई एक्शन न ले। साथ ही आगामी चुनावों में भी पूरी मदद मिले। अतः राजनैतिक उद्देश्य को साधने के लिए बनाया गया रिश्ता कुछ ही समय में टूट गया। वर्ष 2002 मं मायावती यूपी की मुख्यमंत्री भी थी। वहीं यूपी से लेकर दिल्ली तक मायावती को लोग बहनजी के नाम से ही पुकारते हैं, उस दौरान भी ऐसा ही था। लेकिन लालजी उन्हें सच में बहन मानते थे। अब वो शायद ही उन्हें बहन मानते हों।