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लखनऊ

सिर्फ नाम के संरक्षक हैं मुलायम सिंह यादव, क्योंकि…!

समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची जारी होने के बाद एक बार फिर तीखे जुबानी तीर चल सकते हैं।

लखनऊOct 17, 2017 / 05:32 pm

shatrughan gupta

Mulayam Singh Yadav

Mulayam Singh Yadav

लखनऊ. समाजवादी पार्टी में एक बार फिर पारिवारिक जंग छिड़ सकती है। दिवाली पर जुबानी पटाखे छुट सकते हैं। दरअसल, कई महीनों से चला आ रहा यादव कुनब का विवाद अक्टूबर के शुरुआती दिनों में कम होने लगा था। पिता (मुलायम सिंह यादव), पुत्र (अखिलेश यादव) और चाचा (शिवपाल सिंह यादव) के बीच चल रहा शीत युद्ध थमने लगा था। लेकिन, समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची जारी होने के बाद एक बार फिर तीखे जुबानी तीर चल सकते हैं। क्योंकि, पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले पार्टी में सुलह के लिए मुलायम सिंह यादव द्वारा पेश किया गया फॉर्मूला फेल होता नजर आ रहा है।
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बताते चलें कि सपा संस्थापक ने सुलह के लिए अखिलेश के सामने कुछ शर्तें रखी थीं। इसमें चाचा शिवपाल यादव को पार्टी में महासचिव का पद देना भी शामिल था। सूत्र बताते हैं कि पिता मुलायम के फॉर्मूले पर अखिलेश राजी भी हो गए थे। इसके बाद ही शिवपाल यादव के भी सुर बदल गए थे। उन्होंने भी अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि अखिलेश उनके बेटे के समान हैं। उन्हें मेरा आशीर्वाद हमेशा रहेगा। लेकिन, उस वक्त परिस्थितियां अलग थीं। सभी को उम्मीद थी कि शिवपाल की पार्टी में ससम्मान वापसी होगी और उन्हें पार्टी में महासचिव बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी जारी हो गई, लेकिन उसमें शिवपाल का कहीं नाम नहीं है। खास बात यह भी है कि मुलायम सिंह यादव भले ही पार्टी के संरक्षक हों, पर अधिकृत तौर पर उनके पास भी कोई ओहदा नहीं है। क्योंकि, पार्टी संविधान में संरक्षक का पद है ही नहीं।
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चहेते चाचा को मिली पद्दोन्नित

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 55 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा सोमवार को कर दी थी, लेकिन इसमें शिवपाल यादव को जगह नहीं मिल पाई है। किरनमय नंदा को फिर से उपाध्यक्ष और संजय सेठ को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, अखिलेश के करीबी और उनके चाचा प्रो. रामगोपाल यादव को प्रोन्नत करके महासचिव से प्रमुख महासचिव बनाया गया है। पूर्व मंत्री आजम खान, नरेश अग्रवाल, रवि प्रकाश वर्मा, सुरेन्द्र नागर और बसपा से सपा में आए इंद्रजीत सरोज समेत 10 लोगों को महासचिव बनाया गया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी समेत 10 नेताओं को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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सदस्य के रूप में भी नहीं मिल सकी जगह

अखिलेश ने नए संविधान के अनुसार एक उपाध्यक्ष, एक प्रमुख महासचिव, एक कोषाध्यक्ष, 10 महासचिव, 10 सचिव बनाए हैं। कार्यकारिणी में 25 सदस्य और 6 विशेष आमंत्रित सदस्य नामित किए गए हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि अखिलेश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व अपने चाचा शिवपाल को राष्ट्रीय टीम में शामिल करेंगे। उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाने की जोरशोर से अटकलें थीं, लेकिन सभी 10 महासचिवों की नियुक्ति करके अखिलेश ने इस संभावना को समाप्त कर दिया। खास बात यह है कि शिवपाल को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य के रूप में भी जगह नहीं मिल सकी।
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मुलायम के पास सपा में कोई ओहदा

मुलायम सिंह यादव को भले ही सपा का संरक्षक कहा जाता हो, लेकिन पार्टी में अधिकृत तौर पर उनके पास कोई ओहदा नहीं है। क्योंकि, संरक्षक पद पार्टी के संविधान में नहीं है। आगरा में पांच अक्टूबर को आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा में भी उनके नाम का एक बार फिर जिक्र नहीं किा गया था।

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