आम की बागवानी में भुनगा कीट का प्रकोप, नई कोपलों में आने वाले बौर और इससे बनने वाले छोटे-छोटे फलों में होता है। प्रभावित भाग सूखकर गिर जाता है। यह कीट प्रकोप वाले हिस्से पर शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ छोड़ते है। इसके चलते पत्तियों पर काले रंग की फफूंद जमा हो जाती है। मिज की मादा मंजरियों पर, तुरंत बने फलों और नए कोपलों पर अंडे देती है। यह अंडे सूड़ी में बनकर फलों और कोपलों को अंदर-अंदर खाकर क्षति पहुंचाते है। इससे प्रभावित हिस्सा काला पड़कर सूख जाता है। बौर लगने के साथ ही इस समय बौर में खर्रा रोग के प्रकोप का आसार दिखाई देने लगा है।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा के वैज्ञानिकों का कहना कि आम की बगिया में बौर से फल पकने तक देखभाल करना चाहिए। समय-समय पर विशेषज्ञों की सलाह पर आवश्यक दवाओं का छिड़काव करना जरूरी है। आम के पेड़ में बौर पर तीन मिली लीटर म्नबीसीडीन प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इससे इन कीटों और रोग पर शुरुआती दौर में ही नियंत्रण किया जा सकता है।
खर्रा, दहिया रोग के रोकथाम के लिए कैलेक्सीन तीन मिली एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव कार्बोरिल 0.2 या क्वीनालफास 1.3 मिली और इंडोफिल एम-45 दो ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ करने से रोग नहीं लगेंगे। फूल खिलने या फल लगने के दौरान मार्शल 1.5 मिली या कंटाफ प्लस 1.5 मिली दवा का छिड़काव करने से बेहतर लाभ मिलेगा। आम में जब पूरी तरह से बौर लदे हों तो तब रासायनिक दवा का छिड़काव न करें।
नईम अहमद बागवान पप्पू और नरेश कहते है कि इस बार आम की फसल अच्छी होने की उम्मीद है। लालू हार के रामसेवक यादव सभा खेड़ा के राम मिलन पाल के अनुसार कि यदि मौसम ठीक ठाक रहा तो इस बार पिछले सालों की तुलना में इस बार बहुत अच्छी फसल होगी। मुन्ना कश्यप ने वर्तमान में मौसम के चढ़ा उतार के चलते बौर में रोग लगने की आशंका बढ़ गई है। रहीमाबाद के बागवान एवं आढ़ती नसरत अंसारी कहते है कि इस बार फसल तो पिछले साल से अच्छी होने की उम्मीद है। वर्तमान में आम का बौर फूल रहा है। उसमें आम के दाने भी बनने लगें है।