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देहरादून

Lok Sabha Elections: इस बूथ पर महज चार वोटर…यहां 20 किमी पैदल सफर

लोक सभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की रणभेरी बज चुकी है। आज हम आपको पहाड़ के ऐसे अनूठे मतदान केंद्रों के बारे में बताएंगे, जहां मतदाताओं की संख्या आपको हैरान कर देगी। साथ ही ऐसे दुरूह बूथों के बारे में भी बताएंगे, जहां पैदल पहुंचने में पोलिंग पार्टियों को दो दिन का समय लग जाता है। राज्य के दूरस्थ इलाकों के हालात जान आप भी दंग रह जाएंगे…

देहरादूनMar 16, 2024 / 08:48 pm

Naveen Bhatt

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सड़क के अभाव में उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों से मरीजों को डोली से अस्पताल पहुंचाया जाता है

लोक सभा चुनाव का शंखनाद होते ही उत्तराखंड की विषम भौगोलिक स्थिति पर देश की निगाहें पहुंच गई हैं। उत्तराखंड के तमाम दुरूह इलाकों में आज तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। आम लोगों के अलावा बीमार और गर्भवती महिलाओं को सड़क तक पहुंचने के लिए यहां दो-दो दिन तक भी पैदल सफर तय करना पड़ता है। लोस चुनाव के ऐलान के बाद अब इस राज्य के दुर्गम इलाकों के गांवों और वहां पर बनाए गए मतदान स्थल भी चर्चाओं में हैं।
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सड़क विहीन उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों के बीमार और बुजुर्ग मतदाता वोट डालने के लिए ऐसे पोलिंग बूथ तक पहुंचते हैं। फाइल फोटो IMAGE CREDIT:
लोस चुनाव के लिए उत्तराखंड के यमकेश्वर विस के लालढांग गांव में मतदेय स्थल बनाया है। इस मतदेय स्थल पर मतदान के दिन प्रशासन की ओर से सभी व्यवस्थाएं की जाएंगी। खासबात ये है कि इस मतदेय स्थल पर केवल चार मतदाता ही पंजीकृत हैं। इसके अलावा कोटद्वार के ढिकाला में 10, टिहरी के पठोईगांव में 48, यमुनोत्री के पुजारागांव में 60 मतदात पंजीकृत हैं।
उत्तराखंड में लोस चुनाव के लिए बद्रीनाथ विस का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय डुमक भी सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। गोपेश्वर से 55 किमी सड़क मार्ग का सफर और उसके बाद 20 किमी पैदल दूरूह रास्ते पार कर इस मतदेय स्थल तक पहुंचना पड़ता है। इस मतदेय स्थल तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को करीब दो दिन का समय लग जाता है। इसके अलावा धारचूला विस का राजकीय प्राथमिक विद्यालय कनार भी मतदेय स्थल है। इस मतदेय स्थल तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को उबड़-खाबड चट्टानों और दुरूह पगडंडियों को पार कर 18 किमी पैदल चलना पड़ेगा।
ये बूथ जिला मुख्यालय से 255 किमी दूर
विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में मतदान संपन्न कराना बड़ी चुनौती मानी जाती है। राज्य में चकराता विस का राजकीय प्रावि डांगूठा बूथ जिला मुख्यालय से 255 किमी दूर है। इसके अलावा उत्तरकाशी का राजकीय प्रावि ओसला बूथ जिला मुख्यालय से 200 किमी दूर है। खासबात ये है कि इस बूथ तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को 14 किमी पैदल सफर भी तय करना पड़ेगा।
कई बूथों में शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नहीं
राज्य के कई बूथों पर मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। सरकारी आकड़ों के मुताबिक राज्य के 6 फीसद बूथों पर रैंप, 2 फीसद बूथों पर बिजली, दो फीसद बूथों पर पेयजल, आठ फीसद बूथों पर शेड और दो फीसद बूथों पर फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है।

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