वहीं कई जिलों में लगातार बिजली की कटौती जारी है। हालांकि ऊर्जा मंत्री ने समस्या के समाधान के लिए कमेटी बनाने का दावा किया है, लेकिन महत्वपूर्ण प्रश्न है कि, जिम्मेदार अधिकारी अभी तक क्या कर रहे थे? जबकि कोयला स्टॉक हर रोज़ अपडेट होकर राज्य के बड़े अधिकारियों तक पहुंचता है। ऐसे में सवाल भी बड़ा है कि क्या ये अधिकारी सिर्फ मंत्री और सीएम हाउस को खुश करने के अलावा भी अपडेट रहते हैं। क्यूंकी कानपुर , बरेली, मुरादाबाद, जैसे बड़े कारखाने और औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों मे भी अघोषित बिजली कटौती काफी दिनों से जारी है।
2 हज़ार मेगावाट की कमी, जिम्मेदारों के एसी बंद होने के बाद होगा सकता है समाधान कोयले की भारी कमी की वजह से प्रदेश में बिजली संकट बढ़ गया है। इस समय जरूरी आपूर्ति में से 2 हज़ार मेगावाट की क्षमता बिजली उत्पादन को बंद कर दिया गया है। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि, अन्य राज्यों से बिजली खरीदने के बावजूद भी इस समय लगभग दर्जन भर से ज्यादा जिलों में इमेर्जेंसी कटौती की जा रही है। इस अघोषित बिजली कटौती से व्यापारी, किसान और आम आदमी सभी परेशान है। लेकिन जिम्मेदारों को अब तक एडवांस प्लान बनाना नहीं भी आया है।
6 बिजली घरों की एक एक यूनिट उत्पादन बंद उत्तर प्रदेश में अब तक लगभग 6 बिजली घरों की एक एक यूनिट बिजली उत्पादन को बंद किया गया है। जिनमें प्रमुख तौर ललितपुर पावर प्लांट , रोजा पावर प्लांट, मेजा पावर प्लांट, ऊंचाहार पावर प्लांट, पारीक्षा पावर प्लांट, हरदुआगंज पावर प्लांट की एक-एक यूनिट बंद हो चुकी है।
हालात ये हैं कि देर रात से लेकर भोर तक हर रोज़ 1500 मेगावाट तक बिजली कटौती करके अन्य क्षेत्रों में सप्लाई की जा रही है। ये बिजली कटौती उन क्षेत्रों और ऐसे जिलों में की जा रही है, जहां से रोजगार बढ़ता है, जहां से अन्नदाता यानि किसानो की खेती किसानी संचालित होती हैं। यानि वीवीआईपी जिलों को छोडकर लगभग सभी जिलों में भारी कटौती जारी है।
16 पावर प्लांटों में सिर्फ 5 दिन का ही कोयला बचा इस समय प्रदेश में अधिक बिजली उत्पादन करने वाले प्लांटों में से अनपरा में 2630 मेगा वाट, ओबरा में 1000 मेगा वाट, पारीक्षा में 920 मेगावाट, और हरदुआगंज में 610 मेगावाट की बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
लेकिन कोयला खदानों के पास स्थापित 16 पावर प्लांट में से आठ के पास 5 दिन से कम का ही कोयला बचा हुआ है। कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए यूपी के अपर मुख्य सचिव ऊर्जा ने भारत सरकार के कोयला सचिव से अनुरोध किया है। हालांकि उस अनुरोध पर कोयला कितने दिनों में पावर प्लांट तक पहुंच जाएगा। इसका अभी तक कोई समाधान निकलता दिखाई नहीं पड़ा है।
जबकि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि इसके समाधान के लिए दो कमेटी बनाई गई है। साथ ही भारत सरकार के कोयला मंत्रालय से भी लगातार बातचीत हो रही है।