सीएम योगी ने सवाल उठाया कि वेद की अधिकतर ऋचाएं किसने रचीं। वेद की अधिकतम रिचाओं को रचने वाले वे ऋषि हैं,जिन्हें आज हम दलित कहते हैं। रामायण का आधार कौन है। सब जानते हैं। महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण। वाल्मीकि कौन थे। लेकिन आज लोग वाल्मीकि समुदाय से ही छुआछूत करते हैं। यानी जिन्होंने वेदों से हमारा साक्षात्कार कराया उन महर्षियों को हम भूल गए। हम आज राहुल गांधी की तरह अपना नया गोत्र बनाने लगे तो दुर्गति तो होनी ही होनी है। एक बात और इतिहास लिखने का जिम्मा हमने उनको दे दिया जिनका खुद का इतिहास 2000 साल पुराना भी नहीं है। ऐसे ही लोग हमारे अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
प्रयाग कुंभ के महत्व पर प्रकाश डालने और इसके उद्देश्य को बताने के लिए अयोध्या में समरसता कुंभ का आयोजन किया गया है। इसमेे देश भर से 2800 विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम दो दिनों तक चलेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास कर रहे हैं।
कार्यक्रम में मंच पर ग्राम्य विकास मंत्री मंत्री डॉ महेंद्र सिंह,प्रभारी मंत्री रमापति शास्त्री ,आरएसएस के सर कार्यवाह भगैय्या जी, आरएसएस के वरिष्ठ सदस्य जय प्रकश,पूना से आये गोविन्द देव गिरी ,सांसद लल्लू सिंह ,अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मनोज दीक्षित आदि मौजूद थे।
प्रयाग कुंभ से पहले देश के पांच स्थानों पर वैचारिक कुंभ हो रहे हैं। काशी में पर्यावरण कुंभ हुआ। इसमें पर्यावरण के बारे में बताया गया कि भारतीय संस्कृति में सिर्फ जीव मात्र के लिए बात नहीं की जाती बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड के हर जीव जंतु पेड़ पौधे की बात की जाती है। दूसरा वैचारिक कुंभ वृंदावन में हुआ। यह नारी शक्ति का प्रतीक था। तीसरा वैचारिक कुंभ अयोध्या में हो रहा है। चौथा वैचारिक कुंभ लखनऊ और पांचवा प्रयागराज में होगा।