scriptOpinion : आबो-हवा खराब होने से सांसों पर फिर संकट | respiratory crisis due to air pollution | Patrika News
लखनऊ

Opinion : आबो-हवा खराब होने से सांसों पर फिर संकट

UP Prasangvash : दशहरे से पहले ही यूपी के प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 एक्यूआई के करीब पहुंचा।

लखनऊOct 15, 2021 / 03:51 pm

lokesh verma

aqi.jpg
लोकेश वर्मा

Opinion. सुप्रीम कोर्ट ने हाल में टिप्पणी की थी, जश्न मनाना अच्छी बात है, लेकिन जश्न के दौरान आतिशबाजी परेशानी की बात है। वायु प्रदूषण की परेशानी अस्थमा के मरीज समझते हैं। इसलिए हम लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ही सिर्फ ग्रीन पटाखों को छोड़ने की अनुमति दी है। लेकिन, इसके बावजूद खतरनाक केमिकल वाले पटाखों की सरेआम बिक्री हो रही है और लोग जमकर आतिशबाजी भी कर रहे हैं। यही कारण है कि दिवाली से पहले ही यूपी के सभी जिलों में वायु प्रदूषण बेहद खराब स्थिति में पहुंच चुका है। ऐसे में दशहरे के पहले ही इसके खतरनाक श्रेणी में पहुंचने के आसार हैं। यही वजह है कि दिल्ली सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब यूपी में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पटाखों पर रोक की मांग जोर पकड़ने लगी है। अगर सरकार अभी नहीं चेती तो परिणाम भयावह हो सकते हैं।
गौर करने वाली बात ये है कि उत्तर प्रदेश के तीन जिले आगरा, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर हर साल वायु प्रदूषण के मामले में देशभर में सबसे ऊपर रहते हैं। इसी तरह प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत अन्य प्रमुख जिलों में भी एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में पहुंच जाता है। प्रदेश में हर साल दिवाली बाद वायु प्रदूषण चरम पर होता है, लेकिन इस बार दशहरे से पहले ही प्रदेश की आबो-हवा 200 एक्यूआई के पास पहुंच चुकी है। दशहरे बाद ही इसके बेहद खराब श्रेणी में पहुंचने का अनुमान है। लेकिन, यूपी चुनाव में उलझी सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। नवरात्रि की शुरुआत से ही जगह-जगह पटाखों का शोर सुनाई दे रहा है।
हर साल की भांति इस बार भी दशहरे पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के विशालकाय पुतलों का दहन किया जाएगा। पुतलों में लगाए गए पटाखों का शोर जहां ध्वनि और वायु प्रदूषण का कारक बनेगा। इस तरह दिवाली से पहले ही प्रदेश में आबोहवा खराब होने से सांसों पर संकट गहराता नजर आ रहा है और दिवाली तक बेहद खतरनाक श्रेणी में पहुंच सकता है। अब सवाल ये उठता है कि इससे कैसे बचा जाए? मान लिया जाए कि पिछली बार की तरह सरकार पटाखों पर प्रतिबंध लगा भी देती है तो क्या पटाखों की बिक्री नहीं होगी? बिल्कुल होगी। वायु प्रदूषण को तभी रोका जा सकता है, जब सरकारी सिस्टम भी अपनी जिम्मेदारी समझे और सख्ती से प्रतिबंध के नियमों का पूरी तरह पालन हो। नहीं तो स्थित वही हर साल की तरह ढाक के तीन पात वाली ही होगी।

Home / Lucknow / Opinion : आबो-हवा खराब होने से सांसों पर फिर संकट

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो