गौर करने वाली बात ये है कि उत्तर प्रदेश के तीन जिले आगरा, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर हर साल वायु प्रदूषण के मामले में देशभर में सबसे ऊपर रहते हैं। इसी तरह प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत अन्य प्रमुख जिलों में भी एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में पहुंच जाता है। प्रदेश में हर साल दिवाली बाद वायु प्रदूषण चरम पर होता है, लेकिन इस बार दशहरे से पहले ही प्रदेश की आबो-हवा 200 एक्यूआई के पास पहुंच चुकी है। दशहरे बाद ही इसके बेहद खराब श्रेणी में पहुंचने का अनुमान है। लेकिन, यूपी चुनाव में उलझी सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। नवरात्रि की शुरुआत से ही जगह-जगह पटाखों का शोर सुनाई दे रहा है।
हर साल की भांति इस बार भी दशहरे पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के विशालकाय पुतलों का दहन किया जाएगा। पुतलों में लगाए गए पटाखों का शोर जहां ध्वनि और वायु प्रदूषण का कारक बनेगा। इस तरह दिवाली से पहले ही प्रदेश में आबोहवा खराब होने से सांसों पर संकट गहराता नजर आ रहा है और दिवाली तक बेहद खतरनाक श्रेणी में पहुंच सकता है। अब सवाल ये उठता है कि इससे कैसे बचा जाए? मान लिया जाए कि पिछली बार की तरह सरकार पटाखों पर प्रतिबंध लगा भी देती है तो क्या पटाखों की बिक्री नहीं होगी? बिल्कुल होगी। वायु प्रदूषण को तभी रोका जा सकता है, जब सरकारी सिस्टम भी अपनी जिम्मेदारी समझे और सख्ती से प्रतिबंध के नियमों का पूरी तरह पालन हो। नहीं तो स्थित वही हर साल की तरह ढाक के तीन पात वाली ही होगी।