सोशल मीडिया में इस बात की गूंज जोरों पर है कि जिनका जन्म जिस स्थान पर हुआ वहां से उस महान व्यक्ति की मूर्ति को भाजपा सरकार क्यों हटा रही है। इस सवाल का उत्तर देते हुए श्रीकांत शर्मा ने कहा कि इलहाबाद विकास प्राधिकरण ने वहां के 20 चौराहों को विकसित किए जाने की योजना बनाई थी। इस योजना के चलते तमाम चौराहों की तस्वीरें बदल रही हैं। अब इस चौराहे का जो प्रारूप तैयार किया गया उसके एक ही मूर्ति लगी रह सकती थी। इसलिए नेहरूजी की मूर्ति ससम्मान वहां से हटाकर पास के पार्क में लगाई जा रही है। यह पूछे जाने पर तो फिर दीन दयाल उपाध्याय की मूर्ति ही क्यों लगाई जा रही है। इस पर उन्होंने कहा कि यह सब सपा और कांग्रेस द्वारा माहौल खराब करने की कोशिशें हैं। इसके सिवा कुछ और नहीं।
श्रीकांत शर्मा ने जब प्रेसवार्ता में अच्छा गन्ने की उपज के आंकड़े देते हुए बताया कि अब किसान कितना ज्यादा खुश है तो उनसे पूछा गया तो आप सही हैं या सीएम योगी आदित्यनाथ जिन्होंने दो दिन पहले किसानों से गन्ना उत्पादन न करने की अपील की थी और कहा था कि इतना गन्ना हो गया है कि लोगों के सुगर होने लगी है। इस पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का संदर्भ दूसरा था और उसका मकसद यह नहीं था।
जब उनसे यह पूछा गया कि भीमआर्मी का प्रमुख रावण को भाजपा के इशारे पर छोड़े जाने की चर्चा है। ऐसे में वह बसपा और मायावती की तारीफ कर रहा है। इसके क्या मायने हैं, श्रीकांत शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में सबको बोलने की स्वतंत्रता है। वह भी बोल रहा है तो बोलने दीजिए।
उन्होंने कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव साइकिल यात्रा के दौरान भाजपा सरकार पर तरह तरह के आरोप लगाते घूम रहे हैं। ऐसा कोई आरोप बचा नहीं है जो उन्होंने अब तक लगाया न हो। कानून व्यवस्था से लेकर जातिवाद तक के आरोप हम पर मढ़े हैं। दरअसल सपा पर जितने भी आरोप लगाओ कम हैं। उनसे बड़ा जातिवादी कोई न था और न होगा। वह तो राजनीति ही जातिवादी की करते हैं। दलित विरोधी हमें कहते हैं जबकि सही मायने में दलित विरोधी वे ही हैं। हमने किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर दिखने की कोशिश की है। 48 लाख लोगों को रोशनी दी है। लकड़ी जलाने वाले गरीबों को गैस सिलेंडर दिया है। अब सपा मुझपर आरोप लगा रही है। हास्यास्पद है।