रामगोविंद चौधरी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को पत्र में लिखा, “आपके यशस्वी नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता और और नेता साम्प्रदायिकता और पाखंड के इस जहर का असर कम करने के लिए संघर्ष कर रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस जहर का मजबूती से प्रतिवाद कर रहे हैं। इसलिए वह
भाजपा और संघ के निशाने पर हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े समाज से आते हैं। अपने जुझारू स्वभाव की वजह से इस समाज में उनका एक विशेष स्थान हैं। उनका पदाधिकारी बने रहना समाजवादी पार्टी के हित में है। इसलिए मेरा आग्रह है कि आप उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं करें।”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने किया पॉलिटिकल स्टंट? दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था क्यूंकि पार्टी नेता और पदाधिकारी उनके बयानों को निजी बयान बता रहे थे। इनके इस्तीफे से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल हो गई। एक तरफ लोग इनके इस्तीफे को पॉलिटिकल स्टंट बता रहे हैं तो कई लोग यह कयास लगाने में जुटे हैं कि अब स्वामी प्रसाद किस पार्टी में जाएंगे।
स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा के टिकट पर टिकी निगाहें स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से BJP की सांसद हैं। BJP सांसद होने की बावजूद 2022 विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने पिता स्वामी प्रसाद के लिए प्रचार-प्रसार किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा बदायूं से संघमित्रा के बजाय किसी और को टिकट दे सकती है। इसलिए स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा से बेटी का टिकट कंफर्म करवाने के लिए समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।